Tuesday, December 14, 2021

 मैं भारतीय नारी हूँ 

मैं भारतीय नारी हूँ 

साड़ी मेरी,

मेरे अस्तित्व की पहचान है।

मैं अपनी बाँह पर इसका पल्लू रखती हूँ,

सतर्क लापरवाही से 

इसके सहारे 

बस कंधे के ऊपरी हिस्से की ढँकती हूँ,

मैं बुआ हूँ।

 

ढेर सारे अलपीनों के साथ

जिस तरह मैं साड़ी पहनती हूँ

और इसे टखनों से नीचे रखती हूँ

मैं घर की दादी हूँ।


जिस सावधानी से मैं 

अपनी साड़ी में चुन्नट लगती हूँ

और ध्यान रखती हूँ

“”मेरी साड़ी जमीन छूती रहे”,

मैं घर की नानी हूँ।


जिस तरह बड़ों के सामने नजरे झुकाए रहती हूँ

सलीके से मैं साड़ी पहनती हूँ

और बाद में ध्यानपूर्वक तह करके रखती हूँ।

मैं घर की माँ हूँ। 


जिस बेतरतीब तरीके से मैं 

अपने शरीर से साड़ी बांधती हूँ,

पहनकर बार-बार लड़खड़ाती हूँ

चाहे ऊंचाई कुछ भी रखूँ।

आईने में स्वयं को निहारती 

मैं इस घर की बेटी हूँ।

         

 राजीव कुमार

(05/02/2021)

 



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