Thursday, June 30, 2022

 

।। किसी ग्रामोफोन की तरह ।।

पिता खामोश है किसी बाँसुरी की तरह

उसे चाहिए एक गरम साँस का

हल्का सा स्पर्श अपनी आत्मा पर

कि वह बज उठे धीरे से;

प्रेम में फूटती है एक ऐसी धुन

जो उठती है आकाश तक

और समेट लेती है पाताल को भी

प्रेम में पिता हो जाता है हरी प्रसाद चौरसिया।

पिता टोकरे में तरह तरह के फल लिए बैठा है

घर की दहलीज पर किसी कुँजड़े की तरह

उसे पता है अद्भुत है फलों का स्वाद

खुशबू और मिठास;

उन्हें निहारता है, पौंछता है और धर देता है पिता

प्रतीक्षा करता है उनके आने की

कि चख चख कर खिलादे उन्हें सब मीठे फल

प्रेम में पिता हो जाता है शबरी का प्रतिरूप।

पिता की स्मृतियों में चलचित्र-सी चलती हैं यादें

उन्हें सुलाने के लिए जाना किसी लाँग ड्राइव पर

बुखार में बर्फ के पानी से पौंछना माथा

उनका मचलना आईसक्रीम के लिए

ज़िद कर बैठना किसी खिलौनों की दूकान में

टीचर पर नाराज़ होकर लौटना स्कूल से या

कोई ट्रॉफी लेकर आना किसी प्रतियोगिता से

प्रेम में पिता फड़फड़ाने लगता है

एल्बम के पन्नों की तरह।

पिता नहीं जानता प्रेम में क्या सोचते हैं बच्चे

पिता नहीं जानता जब बड़े हो जाते हैं बच्चे

तो कैसे बदल जाती हैं उनकी प्राथमिकताएं

ज़रूरतें और पसंद।

बच्चे अब नहीं खाते फल

नहीं करते ज़िद

नहीं सुनाते कोई कहानी

फोन घुमाकर करते हैं

आर्डर बरगर और पिज़्ज़ा।

पिता खामोश है किसी पिता की तरह

पिता अब घर में हैं किसी ग्रामोफोन की तरह!


Like A Gramophone (Final)

Father is silent like a flute

His soul needs the warmth of outcoming breath

To get all musical.

Love cracks such a soothing melody

That touches the heart of the  Earth

 And soars to the blues of the sky

 Affection makes him a flute master,

A fruit-seller too 

With a variety of fruits in his store

Sitting on the threshold of his house

Mastering taste and essence of them all.

He looks at them intently,

Freshens them with soft cotton touch

And keeps them intact

With a wish to make his little soul eat

Each and every tasty tasted fruit,

And  becomes Shabri for his son.

In the horizon of mind

He travels down the memory lane

Where on a long drive

He cradles him to sleep,

Keeps an ice-soaked towel on his forehead

To calm down his heat.

He bears

His becoming unruly for an ice-cream,

Getting glued to the last stair of a toy-shop,

Coming with heavy heart from school 

Being upset with his teacher,

Or bringing a winner’s trophy.

Father feels elated

Like the fluttering pages of an album

 In a pleasant breezy day.

But father doesn’t know 

What children think of love,

He doesn’t even know 

Why priorities make a windy shift

When siblings grow young,

Why  their taste and temperament 

Moves west ward.

Now children don’t eat fruits,

Don’t get stubborn for anything,

Don’t utter nursery rhymes,

Or short stories of their interest,

They prefer ordering pizzas & burgers, hot dogs.

Father maintains silence like any other father

He feels placed in the corner of a living room

Like a ‘Gramophone’.

(Date: 24.06.2022)