1
प्रेम-धार बहने दो
प्रेम यज्ञ आज करो
औरों को प्यार करो
सारे रार रहने दो
प्रेम-धार बहने दो.
रिश्तों का सार बनो
सबके साथ-साथ चलो
मन के तार जुड़ने दो
प्रेम-धार बहने दो.
मन में रखो आस तुम
अपनों में विश्वास तुम
स्वयं को आगे बढ़ने दो
प्रेम-धार बहने दो.
हाथों को थाम लो
सबसे स्वयं से को बांध लो
इस क्रम को चलने दो
प्रेम-धार बहने दो.
2
दूसरा अंतर्मन
तुम्हारा अंतर्मन
नागफनी का घना वन है,
तेरे काँटों की चुभन लिए मैं
एक दूसरा अंतर्मन .
तुम्हारी आँखों का शिकारीपन,
मेरे आँखों से झलकता डर,
मेरा अकेलापन.
आखिर किस रिश्ते से जुड़े हैं
हम : मैं और तुम?
कभी फुर्सत मिले तो बताना.
3
बावरी
कैसी बावरी थी मैं
तू सामने था
और मै
तुझे ढूंढ़ रही थी
अपने मन के वीराने में.
प्रेम को नया आयाम देती ये तीनो कवितायें.. छोटी हैं किन्तु प्रभावशाली अभिव्यक्ति हैं..
ReplyDeleteteenon kainwas alag alag rang me... yahan kuch pal thahar gai
ReplyDeleteकैसी बावरी थी मैं
तू सामने था
और मै
तुझे ढूंढ़ रही थी
अपने मन के वीराने में.
सच ही है अगर प्रेम की धार पैनी हो तो अंतर्मन बावरा हो ही जाता है
ReplyDeleteप्रेम धार ही भागीरथी बन मरों को जिलायेगी।
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