Thursday, September 15, 2011

"बाँध के फाटक उठाओ"

आज
प्रकृति से कर घात
पहाड़ों के हृदय को
दे भारी आघात
बांधकर नदियों को
ऊंची घाटियों में
ढ़ेरों बाँध से
रोक दिया है तुमने
उनका नैसर्गिक प्रवाह.

सपना खुशहाली का देकर
छीन ली
हमारी
हरी-भरी धरती ,
ले लिया है
हमारा
सारा आकाश .

बाँध के आगे
बनाकर
छोटे-छोटे,
अपने-अपने बाँध
नदियों को बंधक बना,
दिखाकर सपने
सुनहरे भविष्य के
घर से भी हमें
बेघर कर गए,
रोजी छिनी,रोटी छिनी ,
खाने के लाले पड़ गए.

आजतक मूंदें रहे हम
अपनी आँखों के पलक
सोचकर कि खो न जाएं
ख्वाब सारे
जो हमें तुमने दिए.

जल तरल है,
वह सरल है
वह सहज ही बढ़ चलेगा,
चाहे कितनी भी हो बाधा
राह अपनी ढूंढ़ लेगा,
बनके निर्झर एक दिन वह
इस धरा को चूम लेगा

अब नहीं
बादल दिखाओ,
अब न बातों में घुमाओ
आ गया है अब समय
तुम बाँध के फाटक उठाओ,

36 comments:

  1. अच्छी रचना, प्रकृति को संरक्षित रखने का एक सुखद सन्देश देती हुई कविता !

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  2. अब नहीं
    बादल दिखाओ,
    अब न बातों में घुमाओ
    आ गया है अब समय
    तुम बाँध के फाटक उठाओ, ...samssamyik v prakriti ke sanrakshan ko prerit kartee sundar rachna.

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  3. बहुत ही सुन्दर रचना! प्रकृति को संरक्षित सन्देश देती हुई कविता !

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  4. बहुत सुन्दर रचना

    बधाई

    http://www.shephs.co.cc/

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  5. प्रकृति को संरक्षित रखने का एक सुखद सन्देश देती हुई बहुत सटीक
    और सुन्दर रचना...अभिव्यंजना में आप का स्वागत है...

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  6. आजतक मूंदें रहे हम
    अपनी आँखों के पलक
    सोचकर कि खो न जाएं
    ख्वाब सारे
    जो हमें तुमने दिए.
    bahut sunder rcahna.........sunder bahv se paripurn rachna ke liey aapko bahut bahut badhai

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  7. प्रकृति को संरक्षित रखने का सन्देश देती हुई सटीक और सार्थक रचना्।

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  8. अब नहीं
    बादल दिखाओ,
    अब न बातों में घुमाओ
    आ गया है अब समय
    तुम बाँध के फाटक उठाओ,


    बहुत खूब ..... प्रकृति को सोच कर लिखी गई ... सन्देश देती रचना

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  9. सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना

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  10. सार्थक व सटीक अभिव्‍यक्ति ।

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  11. बहुत सुन्दर रचना

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  12. सार्थक सन्देश देती रचना...

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  13. बाँध मानव है, विज्ञान है, कृत्रिमता है, दोहरापन है. अच्छी कविता.

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  14. सुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई रचना ..

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  15. सुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति .

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  16. Shashi purwar to me

    "bahut hi sundar kruti hai ...... "

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  17. प्रेरणादायक कविता है ,अवश्य ही विचार किया जाना चाहिए।

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  18. सार्थक अभिव्यक्ति....
    सादर बधाई...

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  19. सटीक व सुन्दर रचना . मनन करने योग्य.

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  20. विनोद पाराशर to me

    "सुंदर रचना."

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  21. अपने-अपने बाँध
    नदियों को बंधक बना,
    दिखाकर सपने
    सुनहरे भविष्य के ......

    वाह! राजीव जी वाह! क्या सच बयानी है,वाह!

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  22. खूबसूरत प्रस्तुति है आपकी.
    सरल शब्दों में गहन अभिव्यक्ति.

    आभार.
    मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.

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  23. meri bhawana se mel khati rachana sadhoowad

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  24. प्रकृति को समेटने के प्रयास में मानव ही सिमट जायेगा।

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  25. बहुत ही सुन्दर रचना....

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  26. बहुत बढ़िया... सुंदर अर्थपूर्ण रचना

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  27. आ गया है अब समय
    तुम बाँध के फाटक उठाओ

    -उम्दा संदेश/आह्वान/ बस, ऐसी ही सजगतापूर्ण रचना रचते रहें...बधाई...

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  28. राजीव जी आशीर्वाद

    सुंदर रचना धन्यवाद

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  29. प्रगति की कीमत तो देनी ही पढ़ती है ...
    कुछ पाने के लिए खोना भी पढता है ...

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  30. tremendous...
    jo taral hai, saral hai... waah...
    kitnee khoobsoorat aur kitnee prernadayak kavuta...
    bahut-bahut abhaar...

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  31. बहुत सुन्दर रचना.....

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  32. जल तरल है,
    वह सरल है
    वह सहज ही बढ़ चलेगा,
    चाहे कितनी भी हो बाधा
    राह अपनी ढूंढ़ लेगा,
    बनके निर्झर एक दिन वह
    इस धरा को चूम लेगा

    क्या बात है, अर्थपूर्ण, भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.

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  33. bahut si sundar abhivyakti .......!

    अब नहीं
    बादल दिखाओ,
    अब न बातों में घुमाओ
    आ गया है अब समय
    तुम बाँध के फाटक उठाओ,

    bilkul sahi .........love this para

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