आज
प्रकृति से कर घात
पहाड़ों के हृदय को
दे भारी आघात
बांधकर नदियों को
ऊंची घाटियों में
ढ़ेरों बाँध से
रोक दिया है तुमने
उनका नैसर्गिक प्रवाह.
सपना खुशहाली का देकर
छीन ली
हमारी
हरी-भरी धरती ,
ले लिया है
हमारा
सारा आकाश .
बाँध के आगे
बनाकर
छोटे-छोटे,
अपने-अपने बाँध
नदियों को बंधक बना,
दिखाकर सपने
सुनहरे भविष्य के
घर से भी हमें
बेघर कर गए,
रोजी छिनी,रोटी छिनी ,
खाने के लाले पड़ गए.
आजतक मूंदें रहे हम
अपनी आँखों के पलक
सोचकर कि खो न जाएं
ख्वाब सारे
जो हमें तुमने दिए.
जल तरल है,
वह सरल है
वह सहज ही बढ़ चलेगा,
चाहे कितनी भी हो बाधा
राह अपनी ढूंढ़ लेगा,
बनके निर्झर एक दिन वह
इस धरा को चूम लेगा
अब नहीं
बादल दिखाओ,
अब न बातों में घुमाओ
आ गया है अब समय
तुम बाँध के फाटक उठाओ,
सही समय पर बहुत सटीक रचना!
ReplyDeleteअच्छी रचना, प्रकृति को संरक्षित रखने का एक सुखद सन्देश देती हुई कविता !
ReplyDeleteअब नहीं
ReplyDeleteबादल दिखाओ,
अब न बातों में घुमाओ
आ गया है अब समय
तुम बाँध के फाटक उठाओ, ...samssamyik v prakriti ke sanrakshan ko prerit kartee sundar rachna.
बहुत ही सुन्दर रचना! प्रकृति को संरक्षित सन्देश देती हुई कविता !
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteबधाई
http://www.shephs.co.cc/
प्रकृति को संरक्षित रखने का एक सुखद सन्देश देती हुई बहुत सटीक
ReplyDeleteऔर सुन्दर रचना...अभिव्यंजना में आप का स्वागत है...
आजतक मूंदें रहे हम
ReplyDeleteअपनी आँखों के पलक
सोचकर कि खो न जाएं
ख्वाब सारे
जो हमें तुमने दिए.
bahut sunder rcahna.........sunder bahv se paripurn rachna ke liey aapko bahut bahut badhai
प्रकृति को संरक्षित रखने का सन्देश देती हुई सटीक और सार्थक रचना्।
ReplyDeleteअब नहीं
ReplyDeleteबादल दिखाओ,
अब न बातों में घुमाओ
आ गया है अब समय
तुम बाँध के फाटक उठाओ,
बहुत खूब ..... प्रकृति को सोच कर लिखी गई ... सन्देश देती रचना
सार्थक सन्देश देती अच्छी रचना
ReplyDeleteसार्थक व सटीक अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना
ReplyDeleteसार्थक सन्देश देती रचना...
ReplyDeleteबाँध मानव है, विज्ञान है, कृत्रिमता है, दोहरापन है. अच्छी कविता.
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक सन्देश देती हुई रचना ..
ReplyDeleteसुन्दर और सार्थक अभिव्यक्ति .
ReplyDeleteShashi purwar to me
ReplyDelete"bahut hi sundar kruti hai ...... "
प्रेरणादायक कविता है ,अवश्य ही विचार किया जाना चाहिए।
ReplyDeleteसार्थक अभिव्यक्ति....
ReplyDeleteसादर बधाई...
सटीक व सुन्दर रचना . मनन करने योग्य.
ReplyDeleteDeep thought and impressive words.
ReplyDeleteविनोद पाराशर to me
ReplyDelete"सुंदर रचना."
अपने-अपने बाँध
ReplyDeleteनदियों को बंधक बना,
दिखाकर सपने
सुनहरे भविष्य के ......
वाह! राजीव जी वाह! क्या सच बयानी है,वाह!
खूबसूरत प्रस्तुति है आपकी.
ReplyDeleteसरल शब्दों में गहन अभिव्यक्ति.
आभार.
मेरे ब्लॉग पर आईयेगा.
meri bhawana se mel khati rachana sadhoowad
ReplyDeleteप्रकृति को समेटने के प्रयास में मानव ही सिमट जायेगा।
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर रचना....
ReplyDeleteबहुत बढ़िया... सुंदर अर्थपूर्ण रचना
ReplyDeletebahut sundar...
ReplyDeleteआ गया है अब समय
ReplyDeleteतुम बाँध के फाटक उठाओ
-उम्दा संदेश/आह्वान/ बस, ऐसी ही सजगतापूर्ण रचना रचते रहें...बधाई...
राजीव जी आशीर्वाद
ReplyDeleteसुंदर रचना धन्यवाद
प्रगति की कीमत तो देनी ही पढ़ती है ...
ReplyDeleteकुछ पाने के लिए खोना भी पढता है ...
tremendous...
ReplyDeletejo taral hai, saral hai... waah...
kitnee khoobsoorat aur kitnee prernadayak kavuta...
bahut-bahut abhaar...
बहुत सुन्दर रचना.....
ReplyDeleteजल तरल है,
ReplyDeleteवह सरल है
वह सहज ही बढ़ चलेगा,
चाहे कितनी भी हो बाधा
राह अपनी ढूंढ़ लेगा,
बनके निर्झर एक दिन वह
इस धरा को चूम लेगा
क्या बात है, अर्थपूर्ण, भावपूर्ण रचना के लिए बधाई स्वीकार करें.
bahut si sundar abhivyakti .......!
ReplyDeleteअब नहीं
बादल दिखाओ,
अब न बातों में घुमाओ
आ गया है अब समय
तुम बाँध के फाटक उठाओ,
bilkul sahi .........love this para