बहन हो तुम. .
हर भाई का अरमान हो तुम
राखी के धागे में लिपटी
एक मनभावन पहचान हो तुम,
मां के जैसा है मान तेरा
घर-घर पाती सम्मान हो तुम.
स्वार्थ भरी इस दुनिया में
एक सुखद अहसास हो तुम.
घायल हाथों की पट्टी हो,
आहत मन का बाम हो तुम.
स्नेह का जलता दीपक हो,
ममता का बिम्ब महान हो तुम.
संचारी है रूप तुम्हारा,
सर्वोत्तम जीवन आयाम हो तुम.
तुमसे सूरज-चाँद हमारे,
झीलमिल,झिलमिल करते तारे,
हरा-भरा जीवन है तुमसे,
सच्चे सुख का संसार हो तुम.
इतना सुन्दर,इतना कोमल
है तेरे धागों का बंधन
मृग बन ढूंढ़ रहे जो खुशबू,
उसका भी स्रोत साकार हो तुम.
जब-जब माथे तिलक लगाती
राखी बांध जब तुम मुस्काती,
खुशियों की एक धार निकलती,
लगता सृष्टि साकार हो तुम.
ख़त में सिमटी तेरी बातें,
भींगे सावन की सौगातें
धागों में बंध बढ़ता जीवन
फूलों भरी बहार हो तुम
धरती हो तुम,आसमान हो तुम,
चमत्कारी वरदान हो तुम
रिश्तों का केंद्र हो,
बहन हो तुम.
ख़त में सिमटी तेरी बातें,
ReplyDeleteभींगे सावन की सौगातें
धागों में बंध बढ़ता जीवन
फूलों भरी बहार हो तुम
sunder rachna, bhai ka bahan ke liye atut pyar , aapki komal madhur rachna ne man moh liya........badhai............
भाई बहन के अटूट प्रेम की सुन्दर रचना……………कोमल भावो की सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteजब-जब माथे तिलक लगाती
ReplyDeleteराखी बांध जब तुम मुस्काती,
खुशियों की एक धार निकलती,
लगता सृष्टि साकार हो तुम.
bahut khoobsoorat prastuti.
रक्षाबंधन के मौक़े पर सुन्दर और सामयिक रचना.
ReplyDeleteभाई -बहन का यह अनमोल रिश्ता यूँ ही अटूट बना रहे ...
ReplyDeleteबहुत शुभकामनायें !
bahut sunder rachna
ReplyDeletepadvane ko aabhar
रक्षाबंधन की शुभकामनायें !
वाह ...बहुत ही स्नेहिल भावों के साथ बेहतरीन प्रस्तुति ।
ReplyDeleteबहु सुन्दर भावों से परिपूर्ण कविता !बहिन के लिये ये पंक्तियाँ विशेष अच्छी लगीं -
ReplyDeleteमां के जैसा है मान तेरा
घर-घर पाती सम्मान हो तुम.
स्वार्थ भरी इस दुनिया में
एक सुखद अहसास हो तुम.
घायल हाथों की पट्टी हो,
आहत मन का बाम हो तुम.
बहन को समर्पित उम्दा रचना...भावपूर्ण!
ReplyDeleteRekha Srivastava to me
ReplyDelete"बहुत सुंदर कविता लिखी है. ये रिश्ता ऐसा ही कि जिसमें स्नेह और प्यार के अतिरिक्त कुछ भी नहीं होता.
रक्षाबंधन पर मेरी हार्दिक शुभकामनाएं"
धरती हो,आसमान हो तुम,
ReplyDeleteचमत्कारी वरदान हो तुम
रिश्तों का केंद्र हो,
बहन हो तुम.
जीवन में बहन की महता को दर्शाती यह रचना अद्भुत है ....आपका आभार
आपको भी राखी का ये पावन त्यौहार बहुत बहुत मुबारक हो भैया
ReplyDeleteभाई -बहन के उज्जवल प्रेम को दर्शाती सुन्दर .रचना ......
ReplyDeleteBahut sundar, I want to write a poem like this but was not finding the right words. Your poem is perfect...
ReplyDeletekitne sunder bhavon ko samete hai yeh rachna… bahut sunder!
ReplyDeleteहर भाई का अरमान हो तुम
ReplyDeleteराखी के धागे में लिपटी
एक मनभावन पहचान हो तुम,
मां के जैसा है मान तेरा
घर-घर पाती सम्मान हो तुम...
भाई बहन के पवित्र प्रेम को दर्शाती सुन्दर सी भाव विभोर करती रचना...
रक्षाबंधन पर हार्दिक शुभकामनाएं...
धरती हो तुम,आसमान हो तुम,
ReplyDeleteचमत्कारी वरदान हो तुम
रिश्तों का केंद्र हो,
बहन हो तुम.
रक्षाबंधन के पावन पर्व पर भाई बहेन के रिश्तों को परिभाषित करती सुंदर प्रस्तुति.
वाह वाह राजीव भाई...
ReplyDeleteअत्यंत सुन्दर कोमल रचना...
बहन भाई का प्रेम यही
बातें आपने सुन्दर कही
सादर बधाई... शुभकामनाये...
bhai bahan ke pavan rishte ko rekhankit karti bahut umda rachna.rakhi ki shubhkamna.
ReplyDeleteभाई बहन के अटूट प्रेम पर एक बहुत ही सुंदर रचना!!!!!!!
ReplyDeleteधरती हो तुम,आसमान हो तुम,
ReplyDeleteचमत्कारी वरदान हो तुम
रिश्तों का केंद्र हो,
बहन हो तुम.
bahut sunder
bhai bahan ka nata bahut hi pavan .aur is rishte pr aapne bahut hi sunder likha hai
rachana
wow... bahut hi khoobsoorat rachna, bilkul bhai-bahan ke rishte ki tarah...
ReplyDeleteaapki kal ki baatein yaad aa gai...
shardindu kumar singh to me
ReplyDelete"bahut achhe Rajiv,kya apkihi kavita hai,pichhale 30 varsho mein kuchch
harkar hai."
prashant sharma to me
ReplyDelete"bahut khoob."
bahut hi pyari rachna, bhai-bahan ke pawan neh se bhari.
ReplyDeleteshubhkamnayen
कोमल भावों की अनुपम प्रस्तुति।
ReplyDeleteसुन्दर भावनात्मक प्रस्तुति
ReplyDeleteभाई बहन के अटूट प्रेम की सुन्दर और बेहतरीन रचना
ReplyDeleteShashi purwar to me
ReplyDelete"bahut hi sundar or dil ko chu lene wali . aapki lekhni ko pranam."
सुन्दर रचना , सार्थक प्रस्तुति , आभार
ReplyDeleteरक्षाबंधन एवं स्वतंत्रता दिवस पर्वों की हार्दिक शुभकामनाएं .
राखी के दिन इससे बेहतर प्रस्तुति क्या हो सकती है राजीव जी .... बहुत लाजवाब रचना ...
ReplyDeletesach me bahono ko samarpit ek pyari se dil ko chhuti rachna...
ReplyDeleterajeev jee, aapki rachnayen dil ko moh leti hai..
"कविता भाई बहन के नाज़ुक और कोमल रिश्ते को उच्च स्वर में बयां कर रही है... विशुद्ध साहित्यिक कविता नहीं होने के बाद भी यह कविता बढ़िया है... "
ReplyDeletesandhya tiwari to me
ReplyDelete"achha laga mere bhai eak bahan ki or se badhai"
सुन्दर प्रस्तुति.
ReplyDeleteभावविभोर हो गया है मन.
आभार.
धरती हो तुम,आसमान हो तुम,
ReplyDeleteचमत्कारी वरदान हो तुम
रिश्तों का केंद्र हो,
बहन हो तुम.
बहन के प्रति ये सम्मान सदा बना रहे .....
It's great stuff. I enjoyed to read this blog. Each and every day your blog having some interesting topic.
ReplyDeleteweb hosting india
bahut sundar ....... apne bahut sundar tarike se bahnao ka maan badhaya hai . abhar .
ReplyDeleteapka mere blog par bhi swagat hai . aap aye dhanyavad . isi tarah aap aate rahiye ... aapne hamara utsaah badhaya hai
बेहद खूबसूरत....
ReplyDeleteप्रियवर राजीव जी
ReplyDeleteसादर सस्नेहाभिवादन !
बहुत विलंब से पहुंचा हूं इस भाव भरी पोस्ट पर …
बाकी सब तो बहुत अच्छा है ही … पूरी कविता सुंदर है !
नये बिंब लुभा गए :)
घायल हाथों की पट्टी हो,
आहत मन का बाम हो तुम.
वाह ! क्या बात है !
मन की भावनाएं ऐसे ही शब्दों में ढल कर काव्य रूप में आनन्द वर्षण करती रहे … !
♥श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएं !♥
- राजेन्द्र स्वर्णकार
जैसे ही आसमान पे देखा हिलाले-ईद.
ReplyDeleteदुनिया ख़ुशी से झूम उठी है,मनाले ईद.
ईद मुबारक
kafi samay baad aapki is khubsurat rachna pr kuch comment de pa rahi hun.....maaf kijiyega.... behen kaisi hoti hai, kya hoti hai...aapne apni is kavita main bahaut hi khubsurati se varnit kiya hai..... behtreen rachna
ReplyDeleteचर्चा में आज नई पुरानी हलचल
ReplyDeleteआपकी चर्चा
भावपूर्ण रचना....
ReplyDeleteDil ko Choo liya.
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