शर्माजी का सबमर्सिबल (कच्ची
कॉलोनियों का दर्द)
पानी की समस्या से होकर परेशान 
अपने पड़ौसियों के व्यवहार से
हैरान
एक दिन जब मैंने 
गिरते जलस्तर के कारण 
दम तोड़ते हैंडपम्प की जगह 
सबमर्सिबल पम्प लगवाने का फैसला
किया।  
लोगों ने मुझे समझाया,
डराया – धमकाया
“शर्माजी पानी नीचे है और नीचे
चला जाएगा” 
इसे मत लगवाओ।
 
सबने लगवा रखा था 
और मुझे अपनी बातों में उलझा रखा
था ।
जैसे-तैसे जोड़-तोड़कर 
मैंने पैसा जुटाया, 
सामान मंगाया 
मिस्त्री लगाया,
बोरिंग का काम शुरु करवाया।  
तभी किसी सह्रदय पड़ौसी की पहल पर
आ धमका एक पुलिस वाला 
बोला – “ये क्या हो रहा
है, 
बिना परमिशन के सबमर्सिबल कौन
लगवा रहा है”?
घरवाले परेशान,
प्लम्बर हैरान ! 
“कैसे सूंघ लेते
हैं पुलिस वाले”
किस गली में चल रहा है कौनसा काम, 
तभी वह जोर से चिल्लाया
 “अरे! कोई बोलता क्यूँ नहीं, 
मुँह खोलता क्यूँ नहीं” 
चलो कोई बात नहीं, 
मैं अपनी मोबाईल से इसकी वीडियो
बनाऊंगा,
फिर थाने में जमा कराऊंगा,
थानेदार को सारी बात
बताऊंगा।  
तुम जो कर रहे हो 
वह सरासर इल्लिगल है।
शर्माजी धीरे से घर से बाहर आए 
सिपाही को दरोगा जी कहकर बुलाया
कहा – कोई उपाय बताओ,सर,
आप ही कोई जुगत भिड़ाओ
किसी तरह मेरा सबमर्सिबल गड़वाओ। 
सिपाही जी बोले शान से 
“देखो भाई, वैसे तो है ये
इल्लिगल,
पाँच हजार रुपए दे दो 
मैं इसको करवा दूँगा लीगल। 
 
शर्माजी बोले, 
“लेकिन भाई पाँच हजार तो बहुत
हैं””.  
देख भाई, 
तेरे इल्लिगल काम को लीगल कराऊंगा,
नीचे से ऊपर तक 
सबको खिलाऊंगा,
इससे कम में नहीं बनेगी बात ।
शर्माजी परेशान हो बोल पड़े,
“भाई, ये तो सरासर
इल्लिगल है”
उसने कहा,  
‘तू जो कर रहा है
वो कौनसा लीगल है’
सिपाही बोला, 
तू तो पढ़ा-लिखा समझदार लगता है, 
तुझे तो पता होगा 
माइनस – माइनस प्लस होता है,
वैसे ही इल्लिगल – इल्लिगल लीगल
होता है। 
जल्दी से पैसे निकालो,
इसे जल्दी से लीगल करवा लो।
आज मुझे करने हैं ढेरों ऐसे काम,
तेरी बातों में उलझा रहूंगा तो हो
जाएगी शाम। 
ले-देकर पांच सौ में सैटल हुआ
मामला,
जाते-जाते सिपाही बोला,
“शर्माजी”, ताल ठोक के अपना
सबमर्सिबल गड़वाओ,
मेरा मोबाईल नंबर रख लो साथ,
कोई तंग करे तो मुझे बताओ ।
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