Wednesday, April 21, 2010

नई दुनियां बसा लेंगे

कौन कहता है मन में उमंगें नहीं मारती हिलोर,
कौन कहता है बरसात में नहीं नाचता मन-मोर।

बस एक बार पावस की फुहार बन आ जाओ ,
एक बार रिमझिम के मीठे गीत सुना जाओ,
रेगिस्तान में भी लहलहाती फसल उगा देंगे,
नदियों की कौन कहे समंदर में भी तूफान उठा देंगे ।

जब भी फुर्सत हो मेरी यादों में आ के बस जाना ,
मेरे सपनों को अपने अरमानों से सजा जाना ,
तुम रहो-न-रहो मेरे पास कोई बात नहीं,
सारी जिंदगी पलों में काट जायेंगे ।

मुझे आज भी तेरे आने का इन्तजार रहता है,
मेरा दिल आज भी तुमसे मिलने को बेकरार रहता है,
अब भी अरमान है कि तुम रूबरू मेरे हो जाओ ,
आना गर मुनासिब न लगे तुमको अपने खयाल दे जाओ।

गर मिली जमीन तो आसमा बना लेंगे ,
खुदी रही तो अपना खुदा बना लेंगे,
बस एकबार तेरा साथ मुझको मिल जाये ,
अपनी एक अलग दुनियां बसा लेंगे ।

2 comments:

  1. बस एक बार पावस की फुहार बन आ जाओ ,
    एक बार रिमझिम के मीठे गीत सुना जाओ,
    shringar ras se paripurn bhav...... priy ka intjaar aur pavas ka sunder sanyojan... badhai....

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  2. गर मिली जमीन तो आसमा बना लेंगे ,
    खुदी रही तो अपना खुदा बना लेंगे,
    बस एकबार तेरा साथ मुझको मिल जाये ,
    अपनी एक अलग दुनियां बसा लेंगे । ...
    bahut sundr rachna.. hauslo se bhari...

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