Thursday, April 22, 2010

सृजन का सुख

तुम मिली ,
मैं पूरा हुआ ,
सृजन का स्वप्न
हुआ साकार ,
धरती पूरी हुई ,
पूरा हुआ आकाश ।
ख़ुशी है
अपनी दुनियां
बसाने की,
बस गम है
"उनसे "
बिछड़ जाने का।
मैं इस सच से
मुंह मोड़ नहीं सकता ,
तुझसे नाता
तोड़ नहीं सकता ।
मेरा निष्कासन
बन गया
तुमसे मिलन का साधन,
और मिला
सृष्टि-सृजन का सुख,
सुअवसर ,
और मिला
जीवन-चक्र ।
मेरा अतीत
मेरे साथ नहीं ,
कोई बात नहीं ,
"उनका" प्यार
मेरे साथ नहीं ,
कोई बात नहीं ।
तुम्हारे प्यार के सहारे
जी लूँगा ,
करूंगा सृजन का स्वप्न
साकार ,
ढूंढ़ लूँगा
तेरे मनुहार में
"उनसे" बिछड़ने के दुःख
का पर्याय ।
आंसू नहीं बहाऊंगा,
नहीं करूगा फरियाद,
मुझे अकेलापन नहीं ,
तुम्हारा साथ चाहिए ,
मुझे स्वर्ग नहीं ,
सृष्टि का संचार चाहिए ।
भूलकर अपना अतीत
नयी दुनियां बसाऊंगा ,
जीऊंगा वर्तमान में
सृजन का जश्न मनाऊंगा ।

2 comments:

  1. करूंगा सृजन का स्वप्न
    साकार ,
    ढूंढ़ लूँगा
    तेरे मनुहार में
    "उनसे" बिछड़ने के दुःख
    का पर्याय । waah

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  2. भूलकर अपना अतीत
    नयी दुनियां बसाऊंगा ,
    जीऊंगा वर्तमान में
    सृजन का जश्न मनाऊंगा ।
    ... srijan ka jashn mubarak ho... sunder rachna

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