कौन कहता है मन में उमंगें नहीं मारती हिलोर,
कौन कहता है बरसात में नहीं नाचता मन-मोर।
बस एक बार पावस की फुहार बन आ जाओ ,
एक बार रिमझिम के मीठे गीत सुना जाओ,
रेगिस्तान में भी लहलहाती फसल उगा देंगे,
नदियों की कौन कहे समंदर में भी तूफान उठा देंगे ।
जब भी फुर्सत हो मेरी यादों में आ के बस जाना ,
मेरे सपनों को अपने अरमानों से सजा जाना ,
तुम रहो-न-रहो मेरे पास कोई बात नहीं,
सारी जिंदगी पलों में काट जायेंगे ।
मुझे आज भी तेरे आने का इन्तजार रहता है,
मेरा दिल आज भी तुमसे मिलने को बेकरार रहता है,
अब भी अरमान है कि तुम रूबरू मेरे हो जाओ ,
आना गर मुनासिब न लगे तुमको अपने खयाल दे जाओ।
गर मिली जमीन तो आसमा बना लेंगे ,
खुदी रही तो अपना खुदा बना लेंगे,
बस एकबार तेरा साथ मुझको मिल जाये ,
अपनी एक अलग दुनियां बसा लेंगे ।
बस एक बार पावस की फुहार बन आ जाओ ,
ReplyDeleteएक बार रिमझिम के मीठे गीत सुना जाओ,
shringar ras se paripurn bhav...... priy ka intjaar aur pavas ka sunder sanyojan... badhai....
गर मिली जमीन तो आसमा बना लेंगे ,
ReplyDeleteखुदी रही तो अपना खुदा बना लेंगे,
बस एकबार तेरा साथ मुझको मिल जाये ,
अपनी एक अलग दुनियां बसा लेंगे । ...
bahut sundr rachna.. hauslo se bhari...