शब्द
शरीर ,
भाव
उसका मनप्राण ।
शब्द
समेट लेते हैं
भावों को
अपने-आप में ।
समयातीत
बना देते हैं उन्हें
स्वयं में सहेजकर ।
शब्द
हैं बाँध
जो भावनाओं के असीमित प्रवाह को
बाँध लेते हैं
अपनी सीमाओं में
और
मर्यादित कर उसे
यादगार बना जाते हैं ।
शब्द
है ताजमहल ,
एक प्रेम-कहानी है
जिसमें ठहरी हुई ।
शब्द
ReplyDeleteहै ताजमहल ,
एक प्रेम-कहानी है
जिसमें ठहरी हुई ।
adbhud rachna ... adbhud vimb.. badhai!
शब्द
ReplyDeleteहैं बाँध
जो भावनाओं के असीमित प्रवाह को
बाँध लेते हैं
अपनी सीमाओं में
और
मर्यादित कर उसे
यादगार बना जाते हैं ।
shabd ki mahima aur uski takat ka sunder chitran.......