Wednesday, September 15, 2010

"मेरी मातृभाषा"

मां
जब मैंने पहली बार
तम्हारी गोद में
आँखे खोली थी
तब नहीं जानती थी मैं तुम्हें ,
नहीं जानती थी दुनियां को ,
दुनियांदारी को ,
नहीं जानती थी क्या होते हैं
अक्षर और शब्द
क्या होती हैं भाषा.

तुम रोज-रोज निहारती थी
मेरा चेहरा
कुछ पढती थी वहां
मैं तो बस देखती थी तुम्हें
मेरी आँखों में झांककर
बुदबुदाते हुए.
देखती थी तुम्हारे होठों को
बार-बार खुलते और बंद होते हुए
शायद मैं भी तेरे संग-संग
बुदबुदाती थी
तुम जो कहती थी
उसे समझाना चाहती थी,
पर समझ कहाँ पाती थी.

तुम कहती थी "माँ--माँ--माँ--माँ"
मैं तो बस
तुम्हें देखती थी
तुम्हारी नक़ल उतारती थी.

"बा-बा-बा-बा;पा-पा-पा-पा"
करते-करते
कब तुम्हारे मुंह से
अक्षर-अक्षर
निकल-निकलकर
मुंह के रास्ते
मेरे मष्तिष्क में समाते गए
आपस में जुड़ते गए
शब्द और वाक्य बनते गए
पता ही नहीं चला .

यही मातृभाषा है मेरी
ये तो तब जाना,
तब पहचाना
जब तुमने गोद में बिठाकर
मुझे बताया:
"अ" से "अमरुद", "ई" से "ईश्वर".

अक्षर से शब्द,
शब्द से वाक्य तक का सफ़र
मैंने तेरी गोद में ही तो पूरा किया.
तुमसे विरासत में मिला
यह अक्षर ज्ञान
मेरी मातृभाषा है, मेरी पहचान है
बिलकुल तुम्हारी तरह.
(राजभाषा दिवस के अवसर पर अपनी मातृभाषा को सादर समर्पित)

11 comments:

  1. बहुत सुंदर कविता ! हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं !

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  2. इससे खूबसूरत समर्पण और क्या !

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  3. राजभाषा को समर्पित इस कृति के साथ मेरा भी हिंदी को प्रणाम और आपको बधाई

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  4. बहुत सुंदर कविता और बहुत सुंदर प्रस्तुति....हिंदी दिवस पर बधाई

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  5. अच्छी पंक्तिया ........


    मेरे ब्लॉग कि संभवतया अंतिम पोस्ट, अपनी राय जरुर दे :-
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_15.html

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  6. अक्षर से शब्द,
    शब्द से वाक्य तक का सफ़र
    मैंने तेरी गोद में ही तो पूरा किया.
    तुमसे विरासत में मिला
    यह अक्षर ज्ञान
    मेरी मातृभाषा है, मेरी पहचान है
    बिलकुल तुम्हारी तरह.
    बहुत सुंदर कविता. हिंदी दिवस पर बधाई

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  7. "बेहतरीन रचना.
    हिन्दी के प्रचार, प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है. हिन्दी दिवस पर आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं साधुवाद!!
    सादर
    समीर लाल"
    ye tippani adarneey Sameer Lal jee se prapt hui hai jiske liye main unka dil se abhari hun.

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  8. बेहतरीन कविता....

    अक्षर से शब्द,
    शब्द से वाक्य तक का सफ़र
    मैंने तेरी गोद में ही तो पूरा किया.
    तुमसे विरासत में मिला
    यह अक्षर ज्ञान
    मेरी मातृभाषा है, मेरी पहचान है

    बहुत सुंदर .......

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  9. गज़ब की बेहतरीन रचना…………सच यही तो होती है मातृभाषा।

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  10. अक्षर से शब्द,
    शब्द से वाक्य तक का सफ़र
    मैंने तेरी गोद में ही तो पूरा किया.
    तुमसे विरासत में मिला
    यह अक्षर ज्ञान
    मेरी मातृभाषा है, मेरी पहचान है
    बिलकुल तुम्हारी तरह...................bahut khub..

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