जी हाँ,जनाब
ये कामन वेल्थ गेम्स है,
अर्थात जन-धन क्रीडा.
सब ले रहे हैं भाग
इस महान उत्सव में,
आप भी आइये, भाग लीजिये,
सभी कर रहे हैं स्वंय पर गर्व,
आप भी कीजिये.
देश का बढ़ा है गौरव
अपने भाग्य पर इतराइए
जबसे हमें
इसकी मेजबानी का हक़ मिला है
जनता के साथ-साथ
व्यस्थापकों का भी दिल खिला है
मन में मची है हलचल
दशकों बाद
कुछ तो अंतरराष्ट्रीय हुआ है .
हुजूर!
यह अकेले का "खेल" नहीं,
ढेरों लोग मिलकर खेलेंगे,
कामन वेल्थ का खेल
खेल भी होंगे अनेक,
कोई पर्यावरण से खेलेगा,
कोई पेड़ों से खेलेगा ,
कोई सड़क से खेलेगा,
कोई सड़क पे खेलेगा ,
कोई सड़क से दूर,
स्टेडियम में खेलेगा,
कोई खेलने जायेगा खेलगाँव.
परन्तु,खेलेंगे सब
क्योंकि यह कामन "वेल्थ"(जन-धन) का गेम है.
जनता तो बस मूक दर्शक बन
देखेगी,झेलेगी सारे खेल,
क्योंकि उसी का "वेल्थ" होता है
"कॉमन".
खिलाडी तो आते हैं
उछल-कूद मचाते हैं
तैरते है,साईकिल चलाते हैं ,
कुछ हारते है,कुछ जीत जाते हैं,
कुछ दिन उधम मचाकर
समापन समारोहके बाद
घर को लौट जाते हैं.
लेकिन कॉमन"वेल्थ" का गेम तो
आगे भी चलता रहता है
वर्षों पहले से महीनों बाद तक-एक समयबद्ध,
दूसरा समय से परे असीम.
यह कल भी जारी था,
आज भी है और कल भी रहेगा.
लेकिन स्वर्णपदक तो उसे ही मिलेगा
जो देश की अस्मिता से खेलेगा.
बहुत अच्छी प्रस्तुति .सच ही कहा है आपने अपनी ही आँखों के सामने अपने पैसे का अपव्यय देख कर दिल जलता है पर "दिल जलता है तो जाने दे आंसु न बहा फरियाद न कर"
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति
ReplyDeleteबहुत सही , और करारा व्यंग ...
ReplyDeleteऔर किसी को मिले न मिले, आपकी यह कविता निश्चित तौर पर स्वर्णपदक लायक है।
ReplyDeleteu write reality of common wealth game. mind blowing bravo
ReplyDeleteक्योंकि यह कामन "वेल्थ"(जन-धन) का गेम है.
ReplyDeleteजनता तो बस मूक दर्शक बन
देखेगी,झेलेगी सारे खेल,
क्योंकि उसी का "वेल्थ" होता है
"कॉमन".....isi karan mahngai sursa ke mukh ki bhanti badh rahi hai... prasangik rachna.... kash yah baat aayojkon tak pahunch paati....
करारा व्यंग्य है .पढ़ कर मजा आया
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