तेरा स्पर्श
मुझे
दूसरी दुनियां में
ले जाता है-
अन्तेर्मन की दुनियां में
जहाँ हिलोरें मारती उमंगें है
ठाठें मारता समंदर है
खुशियों का
नीचे
ऊपर है आसमान
नीली छतरी सा
पसरा हुआ
दूर सागर में
समाता सा.
लौकिक होते हुए भी
कितना अलौकिक है
तेरा स्पर्श
मेरे भावों को
ताजगी देता हुआ
और
देता हुआ
ढेरों अनसुलझे,
अनुत्तरित प्रश्नों के उत्तर
दुनियावी होकर
जिसका हल
नहीं ढूंढ़ पाता मैं.
तेरा स्पर्श
मुझे
मेरे होने का
अहसास कराता है
जीवन में
तुम्हारे होने का
महत्व बतलाता है
और
दिखलाता है
वह अदृश्य बंधन
जो
हमदोनों के साथ-साथ
सारे जग को
अपने बाहुपाश में
बाँध जाता है.
तेरा स्पर्श
उठा लेता है
गोद में
मेरा बचपन
संबंधों के
अद्भुत संसार की
सैर कराता है
भेद-भाव से बचाता है.
तेरा स्पर्श
मुझे पूर्णता की ओर
ले जाता है
अपनेपन का पाठ
पढाता है,
जीने की राह
दिखलाता है
एक अच्छा
आस्थावान इंसान
बनाता है.
तेरा स्पर्श
मुझे
वहां ले जाता है
जहाँ सारा द्वंद्व
निर्द्वंद्व हो जाता है,
साकार हो जाता है
निराकार ,
सीमाएं हो जाती हैं
आभाषी
और
सबकुछ
हो जाता है
एकाकार.
तेरा स्पर्श
ReplyDeleteमुझे
वहां ले जाता है
जहाँ सारा द्वंद्व
निर्द्वंद्व हो जाता है,
साकार हो जाता है
निराकार ,
सीमाएं हो जाती हैं
आभाषी
और
सबकुछ
हो जाता है
एकाकार.
...........अलौकिक की अप्रतिम व्याख्या
तेरा स्पर्श
ReplyDeleteमुझे पूर्णता की ओर
ले जाता है
अपनेपन का पाठ
पढाता है,
जीने की राह
दिखलाता है
एक अच्छा
आस्थावान इंसान
बनाता है."
bahut hi samvedna aur gehrai se likhi gai kavita.. sparsh ko aapne naya aayaam diya... "book of job'" me padha tha ki Jesus ke sparsh me jaadu tha.. waisa hi jaadu eak baar phir aapne create kiya hai...
sparsh ke itne aayaam bhi ho sakte hain socha naa tha... daihik prem ko aap ne alaukik prem bana diya... naya vistaar de diya..
eak ataynt gambhir prem kavita ke liye badhai
तेरा स्पर्श
ReplyDeleteमुझे पूर्णता की ओर
ले जाता है
अपनेपन का पाठ
पढाता है,
जीने की राह
दिखलाता है
एक अच्छा
आस्थावान इंसान
बनाता है.
कितनी सकारात्मकता वाला है आपका ये स्पर्श
bore poem, no inspiration n feel sleepy after read
ReplyDeleteलौकिक होते हुए भी अलौकिक ....निर्द्वंद्व प्रेम ही तो हुआ ..
ReplyDeleteसुन्दर ..!
तेरा स्पर्श
ReplyDeleteमुझे
वहां ले जाता है
जहाँ सारा द्वंद्व
निर्द्वंद्व हो जाता है,
साकार हो जाता है
निराकार ,
सीमाएं हो जाती हैं
आभाषी
और
सबकुछ
हो जाता है
एकाकार.
shandaar...........maja aa gaya, padh kar!!