तुमसे ही है जीवन मेरा,
तुम्हीं मेरा आधार प्रिये,
तुमसे ही जीवन-सार मेरा ,
तुम्हीं मेरा श्रृंगार प्रिये.
माथे बिंदी,हाथों कंगन ,
पावों में पायल की रून-झुन,
बालों में फूल भरा गजरा,
अपने में यौवन-भार लिए,
तुमसे ही जीवन-सार मेरा,
तुम्हीं मेरा श्रृंगार प्रिये.
जब चलती तुम इठलाती सी ,
मदमाती सी ,बल खाती सी ,
गंगोत्री बन बहती जाती
मेरा तट अपने साथ लिए,
कर देती तुम उद्धार मेरा,
तुमसे ही मैं साकार प्रिये.
यादों की उम्र नहीं छोटी,
यह मन में बसता जाता है,
हम आगे बढ़ते जाते हैं,
यह पीछे-पीछे आता है
खुशबु की एक बयार लिए,
मेरा जीवन संचार प्रिये
जब-जब जाती हो छोड़ मुझे ,
नज़रों से ओझल रहती हो,
आता है मुझको याद सदा
तेरे संग बीता एक-एक पल,
तुम आ बसती मन-आँगन में
मीठी सी कुछ सौगात लिए.
जब दर्द बहूत बढ़ जाता है,
बैचैनी बढती जाती है,
यादों राह की पकड़ता हूँ ,
तस्वीर तुम्हारी साथ लिए,
तुमसे मरहम की आस लिए.
तुम आ जाओ एकबार प्रिये
तुम ही मेरा उपचार प्रिये .
सपनों में हर-पल साथ तेरा
जीवन तुम बिन अभिशाप बना ,
कुछ कह जाती,कुछ सुन जाती
मन को थोड़ा बहला जाती ,
मेरे गम को सहला जाती,
तुम बिन सूना संसार प्रिये.
तेरे संग बीता एक-एक पल
यादों में चलता जाता है ,
उम्र नहीं कोई उसकी ,
हर-पल मुझको बहलाता है,
मैं आज भी जिए जाता हूँ,
अंतस में विरह की आग लिए,
तुम मेरे मन की शीतलता
तुम मेरी प्राणाधार प्रिये.
सपनों में हर-पल साथ तेरा
हर सोच पे मेरे हावी तुम,
जाते-जाते कुछ कह जाते,
दिल को मेरे समझा जाते ,
तुम बिन रीता जीवन मेरा ,
तुम बिन सूना संसार प्रिये.
जब सामने तुम आ जाती हो
मन-प्राण हरा हो जाता है,
सावन की घटा छा जाती है,
बादल भी बरसने लगते हैं ,
हरियाली छाती जाती है ,
ऐसा है तेरा प्यार प्रिये.
तुमसे मिलने की सोच मात्र
मुझको रोमांचित कर जाती ,
जब तुम मुझको मिल जाती हो,
मन कहता है आभार प्रिये,
तुमसे ही है जीवन मेरा,
तुम्हीं मेरा श्रृंगार प्रिये.
बहुत सुंदर.रचना..
ReplyDeleteतुमसे ही है जीवन मेरा,
ReplyDeleteतुम्हीं मेरा श्रृंगार प्रिये.
kitni pyari baat kahi aapne!!
ek man-mohak rachna....:)
bahut khub ....
ReplyDeleteachhi rachna....
राजीव जी ऐसा कम ही होता है कि मैं आपकी कविता पर इतनी देर से टिप्पणी दू... देर हो गई... लेकिन आपकी ये रचना रचना कम और प्रेम के नदी का सहज, सरल प्रवाह है... शब्द सहजता से आये हैं.. कविता गेय बनी है और यदि सुर दिया जाय तो बहुत सुरीली बन जायेगी... पूरे दिल और मनोयोग से लिखी गई कविता है .. शीर्षक ही बहुत प्रिय बन पड़ा है "तुमसे मेरा श्रृंगार प्रिये " कुछ पंक्तियाँ तो मुग्ध कर देती हैं... जैसे :
ReplyDelete"यादों की उम्र नहीं छोटी,
यह मन में बसता जाता है,
हम आगे बढ़ते जाते हैं,
यह पीछे-पीछे आता है
खुशबु की एक बयार लिए,
मेरा जीवन संचार प्रिये "
प्रेमी और प्रेमिका के मिलने की आतुरता वाकई इन पंक्तियों में झलकी है... जो आज के जोड़ों के लिए मायने ना रखती हो लेकिन इस से पहले वाली पीढी को समझ आएगी...
"तुमसे मिलने की सोच मात्र
मुझको रोमांचित कर जाती ,
जब तुम मुझको मिल जाती हो,
मन कहता है आभार प्रिये,
तुमसे ही है जीवन मेरा,
तुम्हीं मेरा श्रृंगार प्रिये. "
प्रेम गीत में ए़क नयापन और ताजगी लिए कविता वाकई आपको नए मुकाम तक ले जायेगी
बधाई !
यादों की उम्र नहीं छोटी,
ReplyDeleteयह मन में बसता जाता है,
हम आगे बढ़ते जाते हैं,
यह पीछे-पीछे आता है
खुशबु की एक बयार लिए,
मेरा जीवन संचार प्रिये
gahree atmiyta kee gahree abhivyakti
वाह!! बहुत बढ़िया प्रवाहमयी उम्दा गीत!
ReplyDelete