बिटिया,
तू तो
कविता है मेरी.
नाजों पली
तितलियों के पीछे
दौड़ती-भागती
फूलों से लदी
मखमली
परिधान में सजी
नन्ही गुड़िया है मेरी.
निःशंक सोयी रहती है
मेरी गोद में
सपनों का संसार लिए
और
मैं
अपने चारो ओर
बुनती रहती हूँ
कल्पनाओं के अद्भुत
जाल.
ओढ़ लेती हूँ
सितारों से जगमगाती
अँधेरी रात,
और
हो जाती हूँ
अनंत .
तुझमें पाती हूँ
जीवन के सारे रस
सारे रंग
सुख-दुःख के
दो किनारों के बीच से
बहता हुआ.
तुम लगा देती हो
मेरे मन-आँगन में
खुशियों की झड़ी
उमड़ आती है
सावन की घटा,
खुल जाते है
सारे सृजन-द्वार
जब तुम छलकाती
अपनी निर्मल,
निश्चल मुस्कान
कर जाता है
व्योम को पार
हमारा आनंद,
हमारा प्यार.
bitiya kavita, kareeb se jiti bhawna
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना राजीव जी ! बिटिया के माध्यम से नारी मन का बहुत सूक्ष्म चित्रण किया है आपने ! अदभुद !
ReplyDeletebitiya se ghar ki raunak rahti hai bahut sundar bhav wali rachna
ReplyDeleteबेहद सुन्दर कविता।
ReplyDeleteagle janam mohe bitiya hi keejo..... man ke bhavon ko darshati sunder rachna ....
ReplyDeletebahut hi khubsurat rachna.....
ReplyDeleteसुंदर एहसासों को सार्थक शब्द ।
ReplyDeleteबहुत सुंदर ..भावपूर्ण रचना...
ReplyDeleteबहुत भावात्मक रचना...
ReplyDeletesimple n truth feeling. gr8
ReplyDeleteसुन्दर! मन के विचारों की सुन्दर अभिव्यक्ति। और 'बिटिया'जो ब्याह दी जाती है हो जाती है पराये घर की, द्रवित हो उठता है मन, भर आते हैं मात्र कल्पना से नयनों मे नीर।
ReplyDeleteबिटिया जैसी ही प्यारी कविता ..!
ReplyDeleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना, बिटिया ने मन मोह लिया ।
ReplyDeletebahut pyari kavita
ReplyDeleteएक अनूठी और अविस्मरणीय रचना,
ReplyDeleteजो मन को भा गई!
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वसंत आता है -
जब घर में जन्म लेती है बिटिया!
जब तुम छलकाती
ReplyDeleteअपनी निर्मल,
निश्चल मुस्कान
कर जाता है
व्योम को पार
हमारा आनंद,
हमारा प्यार.
सच ही कहा है आपने बिटिया तो होती ही ऐसी है बहुत सुंदर भावाभिव्यक्ति और खूबसूरत शब्द सयोंजन
एक बेटी होने के नाते आभार व्यक्त करना चाहूंगी इस रचना के लिए
ReplyDeletebahut hi pyari rachna, mujhe kafi pehle 'bitiya'par likhi rachna yaad aa gayi, shayad aapko achhi lage--http://prritiy.blogspot.com/2010/04/blog-post_830.html
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