Thursday, October 22, 2020

 

   गोद का अहसास तो दो

     

      हमने सदा ही रखा  

      तुम्हारा बचपन अपनी गोद में

      मन बहुत हुलसाया  

      जब तुम घुटनों के बल चले,  

जब तुम अपने पैरों पर खड़े हुए,  

चलने में लड़खड़ाए तो हमने

अपनी उंगलियों का सहारा दिया  

फिर लाकर दी

लकड़ी की एक तिपहिया गाड़ी।

  

जब-जब तुम गिरे,

चोटिल हुए,  

तुम्हें गोद में उठाया  

अपने कलेजे से लगाया,  

तुम्हारे घुटने की चोटों को सहलाया,  

मंत्रमुग्ध हो निहारते रहे

तुम्हारी बाल-शुलभ हरकतें।

 

इन आँखों ने भी पाली हैं  

तुमसे उम्मीद  

बड़े होकर

हमारा सहारा बनने की।

  

बस इतनी सी इच्छा है

जब हमें तुम्हारी जरूरत हो

सहारा देना

अपने मजबूत कंधों का।

  

जानता हूँ बहुत व्यस्त है

जिन्दगी तेरी,  

आपा-धापी में कटता है

हर दिन तुम्हारा।

  

समय का मारा,

सहारा ढूँढ रहा मैं,  

आस लगाए हूं

अपनों से  

एक अदद कंधे की।

 

दूर रहते हो रहो  

पर हो सके तो

अपने पास होने का अहसास तो दो ।

   

जानता हूँ नहीं दे पाओगे गोद मुझे

पर, बस एक बार,सिर्फ एकबार  

मुझे गोद का अहसास तो दो ।

 (29/08/2020)

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