Tuesday, May 25, 2010

मां हो तुम

माँ हो तुम.
कौशल्या हो या कैकेयी
यशोदा हो या वैदेही ,
प्यार-भरा उपहार हो तुम
सबका जीवन-आधार हो तुम,
मां हो तुम.

तेरे आँचल की छाँव तले
राम पले,घनश्याम पले ,
लक्ष्मण भी पले,बलराम पले,
सपनों से भरा संसार हो तुम,
मां हो तुम.

भौतिकता को स्वीकार किया
जीवन को हमपर वार दिया,
दे-देकर अपना स्नेह लेप,
पैरों पर हमको खड़ा किया,
प्रकृति का अद्भुत सार हो तुम,
मां हो तुम.

गा-गाकर कर लोरी रातों में
परियों के देश तुम ले जाती,
जब नींद हमें भी आ जाती,
मीठे सपनों में खो जाती तुम,
मेरी कल्पना का आकार हो तुम
मां हो तुम.

बचपन तो झूला करता है,
तेरी इन कोमल बाँहों में,
तू राग मेरा, तू रंग मेरा,
तुमसे ही है सर्वांग मेरा,
जीवन की बहती धार हो तुम,
मां हो तुम..

तुमसे ही सारे रिश्ते हैं
तुमसे ही सारे नाते हैं
बाकि तो बनते रहते हैं,
बाकि तो आते-जाते है,
सारे रिश्ते की नाव हो तुम,
मां हो तुम.

तू ही पूजा,तू ही भक्ति
तू ही आदि शक्ति है,मां
तेरे अंतर्मन के जैसा
संसार न कोई दूजा है,
प्रकृति का सुंदर उपहार हो तुम,
मां हो तुम. .

हम सब में एकाकार हो तुम,
ईश्वर का एक अवतार हो तुम,
छोटे सहज साकार का,
निराकार विस्तार हो तुम ,
मां हो तुम.

1 comment:

  1. हम सब में एकाकार हो तुम
    ईश्वर का एक अवतार हो तुम
    एक छोटे-छोटे साकार सहज का
    निराकार विस्तार है तू.
    atulniya rachna.. maa ka nirakar vistaar! adbhud !

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