Tuesday, June 15, 2010

मैं और मेरा कंप्यूटर

कंप्यूटर के आने के पहले तक
मैं याद रखता था
सबकुछ
यादों के सहारे
ढूंढ़ लेता था मनचाहा .

पर
आज मैं अक्सर भूल जाता हूँ
कभी अपना अतीत
तो कभी अपना वर्तमान,
और कभी ढूंढता हूँ
भविष्य के तार .

जब ढेर सारे "क्यों" में
उलझ कर रह जाता हूँ ,
उपहास का विषय बन जाता हूँ
तब याद आता है कंप्यूटर
जिसमें स्टोर कर दिया है
जानकारियों का भंडार
ताकि समय-समय पर
उसकी सहायता से
कर सकूँ
अपनी भूल सुधार

2 comments:

  1. manav mann pe Machine sawar ho raha hai.......hai na....:)
    achchhi rachna!

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  2. manav se kabhi unnat nahi ho sakta hai computer... phir bhi ek sunder tulnatmak chitran..

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