Friday, June 25, 2010

शब्द तो जीवंत है

शब्द श्रृष्टि बीज है
शब्द-शब्द वृक्ष यहाँ,
शब्द-शब्द जीव है,
शब्द का न आदि है
शब्द का न अंत है ,
शब्द तो अनंत है,
शब्द तो जीवंत है.

शब्द ही है जिंदगी
शब्द यहाँ मौत है
शब्द शिशु सा यहाँ
रोज जन्म ले रहा,
पल रहा,बढ़ रहा
और युवा हो रहा.

शब्द से ही शब्द है,
शब्द से ही अर्थ भी,
शब्द अर्थ पा रहा ,
शब्द अर्थ खो रहा,
शब्द ही पुराण है,
शब्द ही कुरान भी.

शब्द से ही रीत यहाँ,
शब्द से ही प्रीत है ,
शब्द कहीं प्रेमराग,
शब्द मनमीत है ,
शब्द-शब्द है निडर ,
शब्द भय से भीत है.

शब्द कहीं धूप है,
शब्द कहीं छांव है,
शब्द यहाँ सांझ है,
शब्द है निशा यहाँ,
शब्द से ही चांदनी ,
शब्द ही चकोर है,
शब्द-शब्द चाँद यहाँ,
शब्द प्रेम-भोर है.

शब्द कहीं है काम,
कहीं ये विश्राम है
शब्द के भी पाँव है,
शब्द के हैं रास्ते
शब्द से ही मंजिलें ,
शब्द उनको पा रहे.

शब्द कहीं कृष्ण है,
शब्द कहीं राम है,
शब्द अयोध्या यहाँ ,
शब्द -गोकुल-धाम है,
शब्द सरयू तट यहाँ,
शब्द यमुन-धार है.
शब्द बह रहे यहाँ ,
शब्द-शब्द तीर है.

शब्द का चलन रुके,
जीवन चक्र सा रुके ,
शब्द को पुकार लो,
शब्द तो है प्रेमराग ,
शब्द-शब्द स्नेह है,
शब्द अनुराग है.

शब्द प्रखर सूर्य है,
शब्द-शब्द रश्मियाँ ,
शब्द धूप जेठ का ,
शब्द सावन की घटा.
आज भी ये सत्य है,
शब्द तो अनंत है,
शब्द का न आदि-अंत,
शब्द तो जीवंत है.

3 comments:

  1. shabd ka vishleshan......:)
    bahut sundar......!!

    shabd jeevant to hai, lekin iss sajeevta ke piche uska rachiyata hota hai........hai na!!


    hamre blog pe aayen, plz

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  2. शब्द ही नहीं ये कविता भी जीवंत है

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  3. वाह, शब्द का व्यापक स्वरुप उपस्थित कर दिया ....बहुत खूब लिखा है

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