Monday, April 11, 2022

 प्रेम गीत

सुनो शांतनु
अंततः किसी क्षण हम दोनों
एक–दूसरे को खो देंगे
कारण चाहे कुछ भी हो।
लेकिन मृत्यु या आपदा हो तो बेहतर है।
परंतु ऐसा नहीं भी हो सकता है।
ऐसा हो सकता है
एक दिन प्यार की खुमारी से निकलकर तुम
सिगरेट पीने के लिए बाहर आओ
और कभी लौटो ही नहीं।
या मैं किसी और के प्रेम – पाश में फंस जाऊँ
या फिर धीरे – धीरे अनिच्छा की शिकार हो जाऊँ।
चाहे कुछ भी हो
इससे हमें सीख तो मिलेगी ही
होनी के उस आघात को सहने की।
कभी ना खभी
हम एक – दूसरे को खो देंगे
तो हम अभी शुरू क्यों न करें।
जब तुम्हारा खूबसूरत चेहरा मेरी यादों में है
और समुद्र के तट
कुत्ते की गुर्राहट भरी आवाजें निकाल रहे हैं।
क्यों न हम दक्षिण की चिपचिपाहट वाली रात में
रिश्तों की गांठ थोड़ी ढीली करें
और उन्हें बिखरने दें धीरे – धीरे
क्योंकि बाद में जब कभी हम दोनों
रास्ते में मिलें और एक – दूसरे से आँखें चुराएं
वह भी तब जब हम अपने अनचाहे रिश्तों को घर के बिस्तर पर छोड़ आए हैं
और हमारे गंध में सूखे लिली का बासीपन हावि है
इसे क्या कहोगे ?
प्यार तो यह हरगिज नहीं है
(एक अनुवाद:राजीव)

Love Poem

Ultimately, we will lose each other

to something. I would hope for grand

circumstance - death or disaster.

But it might not be that way at all.

It might be that you walk out

one morning after making love

to buy cigarettes, and never return,

or I fall in love with another man.

It might be a slow drift into indifference.

Either way, we'll have to learn

to bear the weight of the eventuality

that we will lose each other to something.


So why not begin now, while your head

rests like a perfect moon in my lap,

and the dogs on the beach are howling?

Why not reach for the seam in this South Indian

night and tear it, just a little, so the falling

can begin? Because later, when we cross

each other on the streets, and are forced

to look away, when we've thrown

the disregarded pieces of our togetherness

into bedroom drawers and the smell

of our bodies is disappearing like the sweet

decay of lilies - what will we call it,

when it's no longer love?

:by Tishani Doshi



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