Friday, July 22, 2011

मुंबई

पहले की तरह आज भी घायल हुई है रूह
इसबार भी लोगों का चैनों-सुकून छिना है
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
रोया है आसमान भी औरों के साथ-साथ,
धरती का भी सीना चाक-चाक हुआ है.
चारो तरफ है दर्द का सैलाब यहाँ पर,
जेहन में बस गया है धमाकों का शहर आज.
रखती हैं हवाएं भी कदम फूंक-फूंककर,
इन हादसों का आज ये अंजाम हुआ है.
मजबूर है,कई पेट चल रहे है इसके साथ,
घर बैठ निवाला जुटा पायेगा कहाँ आज.
जाएगा कहाँ भागकर अपनी जमीन से
रफ़्तार में है जिंदगी के मौत साथ-साथ
उड़ते हैं आसमान में बस गिद्ध,चील,बाज,
डैनों में कहाँ दम कि कबूतर करें परवाज
हैवानियत की हर तरफ तस्वीर दिख रही
शांति का मसीहा नहीं दिखता है कहीं आज.

(एक बार फिर देश की आत्मा लहू-लुहान हुई है)

34 comments:

  1. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
    .
    बहुत अच्छा लिखा है. बधाई. कल के चर्चा मंच पी आप कि यह पोस्ट लोगों तक पहुंचाई जाएगी.

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  2. मुंबई के धमको से एक बार फिर इस देश का ह्रदय फिर छलनी हुआ .....पता नहीं कब आतंक का काला साया अपने देश से जायेगा ?

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  3. जाएगा कहाँ भागकर अपनी जमीन से
    रफ़्तार में है जिंदगी के मौत साथ-साथ

    वर्तमान परिस्थिति पर मर्मस्पर्शी चिंतन....सार्थक अभिव्यक्ति....

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  4. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    बहुत मार्मिक है.

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  5. बहुत ही अच्‍छा लिखा है आपने ...आभार ।

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  6. हिन्दू मरा है , न मुसलमान मरा है
    हर एक धमाके में बस इंसान मरा है
    .................मर्माहत करने वाली घटना पर मार्मिक रचना

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  7. kab tak...........akhir kab tak!!
    rachna marmik hai...
    par aise rachna ko rachne ki jarurat na hi pade ...hai na !!

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  8. मर्मस्पर्शी रचना ।

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  9. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    बहुत मार्मिक है.

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  10. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति..

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  11. बहुत संवेदनशील और मार्मिक प्रस्तुति

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  12. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    -संवेदनशील अभिव्यक्ति!!!

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  13. मार्मिक कविता .हिला कर रख दिया .

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  14. हृदयस्पर्शी ओर मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए आभार.
    शब्दों से मानो दर्द ही टपक रहा हो.

    मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.

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  15. समसामयिक मुद्दे पे प्रभावी रचना

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  16. बहुत सुन्दर

    मार्मिक रचना

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  17. [Offline] shyam kori 'uday' to me

    ... बेहतरीन !!

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  18. [Offline] shardindu kumar singh to me


    "good"

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  19. बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति..

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  20. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
    ......मुंबई के धमको से दिल देहल गया है ....
    ................बहुत मार्मिक प्रस्तुति

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  21. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    बिल्कुल सही कहा मरता इंसान ही है हमेशा पता नही कैसे हम उन्हे बाँट देते हैं………मार्मिक अभिव्यक्ति।

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  22. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
    मार्मिक प्रस्तुति

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  23. न हिन्दू न मुसलमान, बस हिन्दुस्तान मरा है।

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  24. ऐसे सतही विषय आपके लिए नहीं है राजीव सर...आप को ऐसे विषय पर पोलिटिकली करेक्ट कविता लिखनी होती है...ऐसे में पोएटिक जस्टिस नहीं हो पता... खैर... कहूँगा कि अच्छी कविता है...

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  25. एक ह्रदयस्पर्शी रचना...
    सच है कोई धमाका जात नहीं देखता...
    ना धमाका करने वाला शैतान ही जात देखता है...
    हम ही हैं जो धमाकों में भी "रंग" खोज लेते हैं... ये धमाका भगुए रंग का... ये धमाका हरे रंग का...
    सुन्दर लिखा है आपने...
    सादर...

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  26. prasangik avum achhi kriti.

    shubhkamnayen

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  27. बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ||
    बधाई ||

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  28. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.

    धमाका करने वाला लेकिन पक्का हैवान ही है.

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  29. मार्मिक कविता के भाव
    इंसान ही मरा विभाजन हुआ देश का तो इंसान ही मरे
    घर उजड़े ,सुहाग उजड़े ,परिवार उजड़े कोखें सूनी हुई
    ( आज भी दृश्य आँखों के सामने हैं)

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  30. Bahut marmsparshi rachna............in logon ke dilon men raham nahi hai.......

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  31. बहुत संवेदनशील और मार्मिक प्रस्तुति

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  32. Rekha Srivastava to me

    ये कमेट दो बार पोस्ट किया लेकिन डिस्प्ले नहीं हो रहा है. सो आपके पास भेज रही हूँ.
    "शांति के मसीहे तो सत्ताधारियों को दुश्मन नजर आते हैं और जो दहशत फैलाने में लिप्त हैं वे सरकारी मेहमान से पाले जाते हैं.
    एक मुखौटा सा नजर आता है हर शख्स के चेहरे पर, कौन सा आइना लायें तो उस तस्वीर को उजागर करे लोगों के सामने.
    मुंबई की घटना से आहट हो जो लिखा है वह बहुत सुंदर लिखा है."

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  33. इस तरह के दंगों में मरता है बस इंसान !

    न वो हिन्दू होता है और न होता है मुसलमान !!

    JUST EXCELLENT....!!

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  34. न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
    हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
    bahut sahi likha hai. shubhkaamnaayen.

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