Monday, April 26, 2010

एक पेड़ की याचना

मुझे
मत काटो ,
मत मारो
मुझे ।

मैं रहता हूँ
सदा
तेरे साथ।
मैं तुम्हें
ढेर सारी छांव दूंगा ,
ओढ़ लूँगा सूरज को
जेठ की दोपहरी में ,
एक अच्छी सी ठांव दूंगा ।

साथ ही दूंगा
जीवन दायिनी हवा ,
भेजूंगा संदेशा
बादलों को ,
बुलाऊंगा उन्हें
तुम्हारे घर ,
कहूँगा
आँगन में बरस जाने को ,
तुमें सराबोर कर जाने को।

ढेर सारे
फल दूंगा
तुम्हें
खाने को ,
नहीं मांगूंगा
कोई प्रतिदान ,
मान ,
सम्मान ।
बस
देदो मुझे
एक
जीवनदान ।






1 comment:

  1. global warming ki samasya ka samna karte hue aaj prakriti ka balance banane ke liye pedo ko bachana aur naye ped lagane ka sandesh deti aapki kavita gahan arth liye hue hai......

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