Tuesday, May 11, 2010

पत्रकारिता के बदलते आयाम

दूरदर्शन पर
देख रहा था
समाचार:
"आइसलैंड में
ज्वालामुखी फटा ,
यूरोप के आसमान पंर
राख के घने बादल छाये,
यूरोप को आने-जाने वाली
सभी उडाने रद्द "
सीधा-सीधा
फीका-फीका सा .
दिल किया
कोई और चैनल
खंगाळू .
खोजते-खोजते
अचानक
पहुँच गया
एक नामी-गिरामी
खबरिया चैनल पर
जहां महीने भर पहले
२४ घंटे तक
दिखाई गयी थी
"रावण की कब्र"
वहीँ आ रहा था
आज
एक और समाचार:
आज की ताजा खबर
"बर्फ में लगी है आग ,
आग लगी है बर्फ में .
सारा यूरोप जलनेवाला है.
कैसे जलेगा यूरोप,
क्यों जलेगा यूरोप?
ये हम बतायेंगे आपको
लेकिन
एक छोटे से ब्रेक के बाद.
आईये अब हम आपको
सीधे लिये चलते है
अपने संवाददाता
"निरालाजी" के पास
जो घटनास्थळ के काफी करीब है .
हां,तो निराला जी, बताइये,
क्या आग के कारण का पता चला?,
आशा जी,
यहां ज्वालामुखी फटा है .
यह बर्फ कि चादर से ढका
आईसलैंड का इलाका है ,
यही फटा है ज्वालामुखी ,
इससे निकलते गर्द का गुबार
जिससे पूरे यूरोप का आसमान
भर गया है,
आप अपने टीवी स्क्रीन पर भी
देख सकते है .
एक और ब्रेक का समय हो चला है
हम शीघ्र ही लौटेंगे
आप अपने टीवी स्क्रीन पर
बने रहियेगा,
कंही जाइयेगा नही.
आठ बजे शुरू हुआ था
समाचार
अब रात के बारह बजनेवाले हैं.
मैं अभी भी
टीवी स्क्रीन पर नजरें गड़ाए
सोच रहा था
कुछ तो नया आएगा .
लेकिन
मेरे उम्मीद के सूरज पर
पूर्णतः बाजारू,
समाचारी ज्वालामुखी से
निकलती राख
छा गयी थी
खबरो के आसमान पंर
समाचार का सूरज
निकलता कैसे ?
निकलता भी तो आखिर कैसे ?

1 comment:

  1. kya baat hai...
    bahut hi wastwik chitran...
    bahut achha likha hai aapne...
    yun hi likhte rahein..
    regards...
    http://i555.blogspot.com/

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