Tuesday, May 10, 2011

समय करता था इन्तजार......

जब भी तुम
होती थी मेरे पास,
दरवाजे के बाहर खड़ा रहकर
समय करता था इंतजार
तुम्हारे बाहर आने का.

तुम्हारे बाहर आते ही
चला जाता था वह
मुस्कुराता हुआ
तुम्हारे साथ.
मैं करता रहता था
बेसब्री से इन्तजार
तेरे लौट आने का,
समय के ठहर जाने का.

जो तुम होती थी साथ
समय समा जाता था तुझमें.
घंटा गुजर जाता था
पल बनकर ,
बस तुम-ही-तुम होती थी
आस-पास,
कोई और नहीं होता था.

आज
मेरे पास नहीं हो तुम
साथ हैं बस तुम्हारी यादें
जिन्हें बांहों में भरकर
छू लेता हूँ तुम्हें,
कर लेता हूँ
तुमसे दो-चार बातें.

आज भी
समझ से परे है
क्यों पाकर तेरा साथ
सदियाँ बीतती रही
पल बनकर,
तुम्हारे न होने पर
समय पाता रहा
अनंत विस्तार.

क्या यही था
मिलन और जुदाई का खेल
जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
और हम खेलते रहे
समय के साथ
सालों-साल.

22 comments:

  1. बहुत सुन्दर रचना ....

    दिल को छु गयी पन्तिया

    आज भी
    समझ से परे है
    क्यों पाकर तेरा साथ
    सदियाँ बीतती रही
    पल बनकर,
    तुम्हारे न होने पर
    समय पाता रहा
    अनंत विस्तार.

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  2. bahut hi bhavpoorna prastuti..........aansu aa gae aankho me.......thanks.

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  3. आज भी
    समझ से परे है
    क्यों पाकर तेरा साथ
    सदियाँ बीतती रही
    पल बनकर,
    तुम्हारे न होने पर
    समय पाता रहा
    अनंत विस्तार.

    कुछ बातें समझ से परे ही होती हैं……………प्रेम को पूर्णता से प्रस्तुत किया है और समय को भी इंतज़ार करवा दिया ये होता है प्रेम।

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  4. बेहद खूबसूरत कविता...

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  5. आज भी
    समझ से परे है
    क्यों पाकर तेरा साथ
    सदियाँ बीतती रही
    पल बनकर,
    तुम्हारे न होने पर
    समय पाता रहा
    अनंत विस्तार.

    क्या यही था
    मिलन और जुदाई का खेल
    जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
    और हम खेलते रहे
    समय के साथ
    सालों-साल.
    kahan koi jaan paaya hai ise , yah khel aaj bhi chalta hai kahin n kahin

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  6. Nirmal Gupta to me
    Kya baat hai.cograts

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  7. वाह!! बहुत सुन्दर...

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  8. आज भी
    समझ से परे है
    क्यों पाकर तेरा साथ
    सदियाँ बीतती रही
    पल बनकर,
    तुम्हारे न होने पर
    समय पाता रहा
    अनंत विस्तार.
    क्या बात है..बहुत खूब....बड़ी खूबसूरती से दिल के भावों को शब्दों में ढाला है.

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  9. ऐसा ही होता है, जन पलों को हम पलकों में समां कर थाम लेना चाहते हैं वे रुकते नहीं है और कुछ पल ऐसे भी होते हैं जो कटते ही नहीं हैं.
    बहुत सुंदर कविता !

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  10. क्या यही था
    मिलन और जुदाई का खेल
    जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
    और हम खेलते रहे
    समय के साथ
    सालों-साल.
    ....सब समय का फेर है..... कब क्या होगा कोई नहीं जानता....

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  11. यूरेका कह सकते हैं आप.

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  12. बहुत ही अच्छी रचना। हम सबको मिलन और बिछोह के बीच में न जाने कितने समन्दर ढूढ़ने होते हैं।

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  13. क्या यही था
    मिलन और जुदाई का खेल
    जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
    और हम खेलते रहे
    समय के साथ
    सालों-साल.

    कभी तो जुदाई के बाद ही जान पाते है कि आपका उसके प्रति स्नेह कितना है. इससे तो कभी जुदाई अच्छी सही तारतम्य बैठने के लिए. फिर हो मिलन का मज़ा है वह असीम होगा.

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  14. क्या यही था
    मिलन और जुदाई का खेल
    जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
    और हम खेलते रहे
    समय के साथ
    सालों-साल.

    बहुत खूब कहा है ।

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  15. क्या यही था
    मिलन और जुदाई का खेल
    जो समय खेलता रहा हमारे साथ,
    और हम खेलते रहे
    समय के साथ
    सालों-साल

    यही तो होता है और शायद होता रहेगा...
    बहुत खूब....

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  16. उफ़ ..ये कुछ प्यारी ....कुछ न्यारी
    ये यादे ना जीने दे ...

    बहुत अच्छी अभिव्यक्ति भैया

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  17. wah re intzaar...bahut pyari si abhivyakti...rajeev jee...!!
    aapki kavita ek alag unchai ko chhuti hai..
    aur har baar lagta hai, main kyun nahi aisa kar pata hoon!

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  18. artijha jha to me

    No heart is found,
    No mind appears,
    No remorse is seen
    In the watery eyes.


    No body knows
    Wants to know
    Why young generation
    Always have to pay
    For their freedom,
    For their choice.....very touching...mind bloing...specialy..tis lines

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  19. कोमल प्रेमपूर्ण भावों को बहुत ही सुन्दरता से अभिव्यक्ति दी है आपने...

    सत्य है प्रिय का साथ हो तो साल पल बन जाते हैं और दूरी हो तो पल भी साल से लगते हैं...

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  20. गहन चिंतन से उपजी सुन्दर प्रस्तुति.बधाई राजीव जी.

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  21. समय समय की बात.

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  22. क्या खूब लिखी है...
    कई वर्षों बाद जीवन ने हमे भी ऐसा ही उपहार दिया है..आपकी रचना हमारे दशा को पूर्ण रूप से व्यक्त कर गयी,....
    बधाई एक अति सुन्दर अभिव्यक्ति पर.....

    संजय
    http://chaupal-ashu.blogspot.com/

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