Sunday, January 2, 2011

इन खतों में क्या है?

ये ख़त है
जो कभी
तुमनें लिखे थे
मुझको.

उसका अक्षर-अक्षर
तेरा अक्श बन
उभर आता है
आज भी
मेरे जेहन में
चाहे-अनचाहे.

क्योंकि
इन खतों में हैं
कुछ हँसते,
खिल-खिलाते पल,
कुछ सिसकते,
सहलाते पल.
बांटा था जिन्हें
हमने
आपस में
मिल-बैठकर.

इन पलों में
आज भी
सिमटी है
मिलने की चाह,
न मिल पाने का गम,
दूर रहकर भी
पास होने का भ्रम
जो पलता रहा है,
बढ़ता रहा है
सदा
साथ-साथ

तेज होती
धडकनों में
पलती है
प्यार की तपिश
जो देती है
झुलसने का
मीठा अहसास.

ये सब सिमटे हैं
शब्दों के घरौंदे में.
घरौंदा
जो घर हो गया है
बीती बातों का,
आशाओं का,
अरमानों का,
धड़कनों में छिपी
विवशता का,
बैचैनी का
टूटते-बनते रिश्तों का.

मेरे-तुम्हारे होने का
एक-दूसरे से अलग
एक-दूसरे के साथ
जीवनपर्यंत
एक सिलसिला बनकर.

23 comments:

  1. के. महावीर का संगीतवद्ध और उषा मंगेशकर का गाया एक बहुत पुराना ग़ैर फिल्मी नग़्मा याद दिला दिया आपने(मेरा पसंदीदा हुआ करता था)...
    वो जो ख़त तूने मोहब्बत में लिखे थे मुझको,
    बन गये आज वो साथी मेरी तन्हाई के!
    बहुत सुंदर कविता!!

    ReplyDelete
  2. खतों में यादों का भण्डार है।

    ReplyDelete
  3. खत के माध्यम से आपने जीवन के कुछ्छ सच्चाई से सामना कराया। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
    नए साल का पहला विचार

    ReplyDelete
  4. तेज होती
    धडकनों में
    पलती है
    प्यार की तपिश
    जो देती है
    झुलसने का
    मीठा अहसास.
    खतों में सूखे फूल में रहता है ये एहसास

    ReplyDelete
  5. लिफाफा देख कर मजमून भांपने की कोशिश की थी, लेकिन यह तो ''जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिले''

    ReplyDelete
  6. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।

    ReplyDelete
  7. prajyanp pandepragya to me

    बहुत प्रेमपूर्ण भाव हैं ..

    ReplyDelete
  8. Hansraj sugya to me


    शानदार रचना राजीव जी!!

    ReplyDelete
  9. इन पलों में
    आज भी
    सिमटी है
    मिलने की चाह,
    न मिल पाने का गम,
    दूर रहकर भी
    पास होने का भ्रम
    xxxxxxxxxxxxxx
    इन यादों में ही कई बार जीवन का सफ़र आनंदायक बन जाता है और कई बार बहुत कष्टदायक ..यह भ्रम की स्थिति.......... इस से निकल पाना बहुत आसन नहीं ...शुक्रिया मेरे ब्लॉग तक आकर एक सार्थक और प्रोत्साहित करने वाली टिप्पणी के लिए ...

    ReplyDelete
  10. नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ,,,,

    ReplyDelete
  11. बेहतरीन अभिव्‍यक्ति ।
    देर से आने के लिए क्षमा
    नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!

    ReplyDelete
  12. Ranjana to me

    भावुक बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
    मनमोहक कविता/भावोद्गार..वाह !!!!

    ReplyDelete
  13. vandana gupta to me

    खतों के माध्यम से दिल का हाल कह दिया।

    ReplyDelete
  14. एहसास लिपिबद्ध हो जाते हैं खतों में...
    सुन्दर!

    ReplyDelete
  15. veena srivastava
    to me
    "मेरे-तुम्हारे होने का
    एक-दूसरे से अलग
    एक-दूसरे के साथ
    जीवनपर्यंत
    एक सिलसिला बनकर."

    बहुत खूबसूरत एहसास...भावपूर्ण रचना....बधाई हो.

    ReplyDelete
  16. बहुत ही खुबसूरत एहसास बीते दिनों की यादों के साथ !
    पड़कर अच्छा लगा ! बधाई दोस्त !

    ReplyDelete
  17. मेरे ब्लॉग पार आने के लिए मैं आप सबका दिल से आभारी हूँ.

    ReplyDelete
  18. खतों में यादों का एहसास
    बेहतरीन अभिव्‍यक्ति

    ReplyDelete
  19. ख़त पर आपकी सुन्दर - सी कविता पढ़कर मुझे अपनी गज़ल का एक शेर याद आ रहा है:-

    इस दर्जा मिला है मुझे पैगामे-मुहब्बत,
    गोया की शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.

    ReplyDelete

  20. बेहतरीन अभिव्यक्ति की झलक है आपकी रचना में ....
    आप अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेंगे हार्दिक शुभकामनायें !!

    ReplyDelete
  21. इन खतों में क्या है?.....इन खतो में जिन्दगी जीने का सार है... भाई जी
    अगर ये ख़त ना होते तो आज जिन्दगी कुछ अधूरी सी होती
    आपकी कविता का हर शब्द सच से परिपूर्ण है ...ऐसे ही लिखते रहे

    ReplyDelete