Monday, April 19, 2010

कवि और कविता

कविता कवि की जान है,
उसका ईमान ,
उसकी कल्पना ,
उसके मन की उडान है ।

कविता ही उसका सच ,
कविता ही उसका मान ,
कविता ही उसकी पहचान है।

कविता ही उसका इष्ट ,
कविता ईश्वर साकार ,
कविता से ही वह,
कविता उसका पर्याय ।

कविता उसका जीवन-आधार,
कविता से उसका जनाधार
कविता कहीं गंगा ,
कहीं यमुन-धार ,
कहीं निर्झर अविराम ,
कहीं गगन निराकार ।

कविता पूरनमासी का चाँद ,
कवि उसका चातक,
कवि उसका चकोर ,
कविता उमड़ता बादल ,
कवि नर्तक मयूर ।

कविता फूलों की बगिया
कवि उस बगिया का माली ,
कविता क्षितिज की लाली ,
खेतों में फैली हरियाली ,
कवि उस खुशहाली का सूत्र-धार।

कवि हर-पल एक पात्र,
कविता उसके मन की बातें ,
कविता उसकी कहानी ,
उसी की जुबानी ।

4 comments:

  1. कविता कवि की जान है,
    उसका ईमान ,
    उसकी कल्पना ,
    उसकी की उडान है ।
    kavi aur kavita ke najuk sambandho ka komal vimb...... kavita mein geyta bhi aa rahi hai... badhai.......

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  2. आपकी लिखने की गति देख मन हो रहा हर्षित... कविता है क्योंकी कवि है... कवि है तभी कविता है... इससे जैसे मर्जी वैसे व्यक्त कर ले .. एक पंक्ती जो रेखांकित करने योग्य है... "कवि हर-पल एक पात्र".... कवि हर कविता को जीता है... उसकी संवेदना को जीता है... मारता है.. जीता है... हर कविता में... सुंदर रचना..

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  3. कविता फूलों की बगिया
    कवि उस बगिया का माली ,
    कविता क्षितिज की लाली ,
    खेतों में फैली हरियाली ,
    कवि उस खुशहाली का सूत्र-धार।

    Bahut hi manmohak rachna hai, kavi aur kavita ke manoram sambandh ko ba khubi prastut kiya gaya hai

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