Wednesday, September 9, 2009

तेरा नहीं होना .............

विश्वास नहीं होता कि अब तुम
हमारे बीच नहीं हो ।
ऐसा लगता है
हर बार की तरह इसबार भी मीरा कहेगी ,"बैठिये,भइया नहा रहे हैं "
या कहेगी कि छोटू को लेकर डॉक्टर के पास गए हैं।
भाभी बोलेगी "बैठिये न , आते ही होंगे,
कचहरी में एक केस कि सुनवाई है "।
"सर" तो सारी रामायण ही खोलकर बैठ जाते हैं,
"बीएड कराया, ऍमएससी कराया,लेकिन कुछ करना चाहे तब न"।
मैं उन्हें "चाहने" और "होने" का फर्क नहीं समझा पाता हूँ।
बस बार-बार तुम्हारा चेहरा आंखों के सामने तैर जाता है ,
लगता है किसी भी पल तुम अपने कमरे से बाहर आओगे
और पूछोगे, "राजीव भाई ,कैसे हैं आप ?"
मैं तो ठीक हूँ,पर तुम्हारे बार में क्या सुन रहा हूँ ,
ख़त मिला कि अब तुम नहीं हो।
विश्वास तो नही हुआ ,
लेकिन "सर" की सूनी आँखें ,मीरा का रुंधा गला
और सुरेश का गमजदा चेहरा मुझे झकझोर गया,
यह अहसास दिला गया कि "अब तुम हमारे बीच नहीं हो।"
पर अपने उस दिल का क्या करूँ जो न तो मानता है
और न ही मानना चाहता है कि अब मैं तुमसे कभी नहीं मिल पाउँगा ।
मेरे लिए तुम्हारा "न होना" भी"होने जैसा" है।
मैं जब-जब जाता हूँ ,मन तुम्हें ही खोजता है ,
लगता है वहीँ कहीं घर के आस-पास हो तुम ।
काश मैं अपने मन को समझा पाता ....................


12 comments:

  1. मेरे लिए तुम्हारा "न होना" भी"होने जैसा" है।
    मैं जब -जब जाता हूँ ,मन तुम्हें ही खोजता है ,
    लगता है वहीँ कहीं घर के आस-पास हो तुम ।
    काश मैं अपने मन को समझा पाता ....................
    बहुत बहुत ही सुन्दर रचना......दिल को छूकर गुजर गयी

    ReplyDelete
  2. मेरे लिए तुम्हारा "न होना" भी"होने जैसा" है। yahi sach hai

    ReplyDelete
  3. Rashmi jee ,tippani ke liye dhanyawad.

    ReplyDelete
  4. arya jee,utsah badhane ke liye dhanyawad

    ReplyDelete
  5. are vaah....ye kaun hai.....acchha...acchha... rajiv.....oh to ye to ham khud hi hai...ham khud ke baare men kyaa likhen....!!.... acchha likha hai...vaakyi....!!

    ReplyDelete
  6. hota hai kai baar kisi ke jane ka yakeen nahi hota hai wo har waqt aaspass nazar ata ahi..uska ahsaas jo sadaa rahta hai hamare sath..
    achi rachna

    ReplyDelete
  7. Very good...nice lines....go on...caring person.

    ReplyDelete
  8. welcome to blogspher with special feelings

    ReplyDelete
  9. सुन्दर रचना ।

    चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है.......भविष्य के लिये ढेर सारी शुभकामनायें.

    गुलमोहर का फूल

    ReplyDelete
  10. बहुत-बहतु उम्दा. अहसासों से टपकती हुई ओस जैसे. जारी रहें.

    ---

    क्या आप [उल्टा तीर] के लेखक/लेखिका बनाना चाहेंगे/चाहेंगी- विजिट- http://ultateer.blogspot.com/ होने वाली एक क्रान्ति.

    ReplyDelete
  11. Bahut Barhia...aapka swagat hai... isi tarah likhte rahiye...

    Please Visit:-
    http://hellomithilaa.blogspot.com
    Mithilak Gap...Maithili Me

    http://mastgaane.blogspot.com
    Manpasand Gaane

    http://muskuraahat.blogspot.com
    Aapke Bheje Photo

    ReplyDelete
  12. 'nahi hona' bhauti ehsaas hai aur 'hone' ka ehsaas parabhautik hai... aatmik hai... aadhyatmik hai... manovaigyanik hai... aasha se bharpoor... eak roshni jagati kavita... shakti deti kavita...

    ReplyDelete