Wednesday, June 22, 2011

तुम्हारी मुस्कान

तुम्हारी एक मुस्कान के लिए
सोये नहीं थे हम
कई-कई रात ,
तुम्हारी एक मुस्कान पर
हम रहे न्योछावर.
तुम्हारे हर क्रंदन पर,
बेचैन,

तुम्हारा मचलना,
गुस्सा होना,चिल्लाना
और फिर ...
सहज हो जाना,
जो तुम्हारी मुस्कान में है,
बहुत राहत देता है
सिर पर जलता सूरज ओढ़े
समय की तपती रेत पर
चलते हमारे मन को.

जब-जब तुम मुस्कुराते हो
कभी राम,
तो कभी कृष्ण,
कभी पुरवैया का झोंका ,
कभी जीवन अभिराम हो जाते हो
क्योंकि तुम जीते रहे
अपना जीवन
पल-पल.

आज
मैं भी जीना चाहता हूँ
हर कतरा जीवन
होना चाहता हूँ,
निर्विकार
तुम्हारी तरह.

भाव से परे नहीं,
भावपूर्ण होना चाहता हूँ.
होना चाहता हूँ
परिस्थितिजन्य.

परन्तु
इतना आसान कहाँ है ये सब ,
हमारे निश्छल भावों पर
हमारा विचार हावी है,
समय हावी है,
समय के साथ ही
सारा संसार हावी है.

19 comments:

  1. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने! हर इंसान को हमेशा मुस्कुराना चाहिए चाहे ज़िन्दगी में कितने ही दुःख क्यूँ न आए! आख़िर सुख दुःख से सभी को गुज़रना पड़ता है! उम्दा रचना!

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  2. तुम्हारा मचलना,
    गुस्सा होना,चिल्लाना
    और फिर ...
    सहज हो जाना
    जो तुम्हारी मुस्कान में है,
    बहुत राहत देता था
    सिर पर जलता सूरज ओढ़े
    समय की तपती रेत पर
    चलते हमारे मन को.
    बहुत ही सुन्‍दर भावमय करते शब्‍द ।

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  3. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना

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  4. बेहद भावप्रवण रचना दिल को छू गयी।

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  5. बहुत भावपूर्ण रचना..पसंद आई.

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  6. रचना बहुत अच्छी बन पड़ी है और सुंदर भी। हाँ निम्न पंक्तियाँ लय में बाधक बनती हैं -

    सिर पर जलता सूरज ओढ़े
    समय की तपती रेत पर
    चलते हमारे मन को.

    ...औऱ
    हावि नहीं हावी है

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  7. मुस्कान पर जो भी लिखा ....बहुत बहुत खूब लिखा है
    --

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  8. सुन्दर भावों को समेटे जीवन को जीती हुई कविता !

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  9. मन के कोमल और व्याकुल भावों की सुन्दर प्रस्तुति

    ह्रदय स्पर्शी रचना...

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  10. बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना..........ह्रदय स्पर्शी

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  11. बढ़ते बढ़ते हमारे निश्छल भाव छोटे हो गये।

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  12. Prerna Argal to me



    bahut sunder rachanaa.dil ko choo gai.badhaai sweekaren.

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  13. Ranjana to me

    वाह...कोमल भावों की अतिमोहक अभिव्यक्ति...
    बहुत बहुत सुन्दर रचना...

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  14. हरिदय मेन घोसला बनाती एक कविता!!

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  15. shephali srivastava to me

    wow b'ful
    bahut hi khubsurat rachna :)

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  16. आज
    मैं भी जीना चाहता हूँ
    हर कतरा जीवन
    होना चाहता हूँ,
    निर्विकार
    तुम्हारी तरह.

    babut sundar rachna

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  17. waah waah waah...
    thank you so much Rajiv ji, hame itani sundar rachnaon se milwane aur jeevan ke saare pahluon se avgat karane ke liye...
    behad khoobsoorat bhaavnaon ka aapne bahut hi sundar chitran kiya hai...

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