Thursday, August 6, 2009

कर्मफल - कड़वा सच

तुम्हारे लगाये पेडो पर फल हमारे होंगे
तुम्हारे बोए खेतों की फसल हमारी होगी
चाहे आम लगाओ या बबूल
डालो गेहूं या धतूरे के बीज
जीवन या नशा सबकुछ हमारा होगा
तुम तो चले जाओगे कर्मभूमि से
शेष रहेगा कर्मफल
हमारे लिए
जो तुम्हारा निर्बल पर हमारा सबल कल है
हम तुम्हारी संतानें ,तुम्हारा तथाकथित भविष्य
तुम्हारे कर्मों, करतूतों के शिकार होंगे
अपना वर्तमान खोजेंगे तुम्हारे बीते हुए कल में
अपने कर्म की सच्चाई पर तुम हंसोगे या रोओगे
पता नही
क्योंकि तुम्हारी हालत होगी मिदास(Midas)जैसी
और हम ,तुम्हारी संतानें ,
होंगे सोने की मूर्तियाँ

4 comments:

  1. What is the co-relation between past, present and future and how one affects the other is the gist of this poem, I draw. Past with its achievements, successes and failures as well, shapes the present & future. At the level of selecting words, the poem is little weak. Anyway, a good poem to read and enjoy !

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  2. कर्मफल नहीं कड़वा होता कभी
    सच्‍चा होता है अच्‍छा होता है
    अच्‍छा और सच्‍चा होना
    कड़वा हो सकता है
    पर कड़वा होता नहीं है।
    जो सच है या कड़वा है
    सब अपने कर्मों का फल है
    और फल फल ही होता है।

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  3. तुम तो चले जाओगे कर्मभूमि से
    शेष रहेगा कर्मफल
    हमारे लिए
    जो तुम्हारा निर्बल पर हमारा सबल कल है
    हम तुम्हारी संतानें ,तुम्हारा तथाकथित भविष्य
    तुम्हारे कर्मों, करतूतों के शिकार होंगे
    अपना वर्तमान खोजेंगे तुम्हारे बीते हुए कल में
    अपने कर्म की सच्चाई पर तुम हंसोगे या रोओगे
    पता नही

    Aapka blog jagat mein swagat hai ji
    ghonsla khoobsurat naam aur blog bhi sunder banaya hai

    bahut achha laga aapko padhna

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  4. aap jaise bade logon ke utsahvadhak shabd kafi protsahit kartein haain.Hausalaafjai ke liye shukriya.
    RAJIV

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