"मेली लानी बिटिया त्यों लोटी है,
त्या हुआ?भुखु लदी है?,
अभी तेले लिए दुधु लाती हूँ .
अब त्यों लोटी है,
मेली लानी बिटिया ?
अच्छा-अच्छा नीनी आई है,
तलो अभी तुलाती हूँ.
अच्छा तलो !
मैं तुम्हें लोली तुनाती हूँ
'चदा मामा दूल के .......' "
न जाने ऐसे ही और कितने बोल
बोलती रहती थी तुम,
कानों में मिसरी सी
घोलती रहती थी तुम,
मैं बस निहारती रहती थी
तुम्हारा चेहरा,
तुम्हारे फड़-फडाते होठ,
पढ़ती रहती थी
वहां तैरते भाव .
इन बोलों में
देखी है मैंने
छवि रचनाकार की
जिसने किया
मुझे साकार,
गढ़ लिए मेरे लिए
अनगिन शब्द,
उनमें भरे तोतले,
मीठे बोल,
दिया उन्हें नया अर्थ,
नया आयाम,
भरकर इसमें अपना स्नेह,
अपना प्यार
बना ली एक शब्दावली
अपने लिए,मेरे लिए.
सच कहूँ तो आज जब
बिटिया को लेकर गोद में
मैं स्वयं दुहरा रही हूँ
वही शब्द,
वही शब्दावली,
तो समझ पा रही हूँ
क्या होती है मां,
क्यों होती ????
मुझसे संवाद की चाहत में
रच लिया था तुमने
एक नया संसार
जहाँ बस मैं थी,तुम थी,
और था
तोतले बोलों में बसा
तुम्हारा सागर सा प्यार.
bahut sundar...nihshabd kar diya....
ReplyDeleteबहुत खुबसूरत माँ - बेटी का ये एहसासों से भरा संवाद |
ReplyDeleteखुबसूरत रचना |
बहुत सुन्दर है कविता।
ReplyDeleteइस तोतले प्यार में बच्चे से सीधा संपर्क करती है माँ ... अपने बच्चे के लिए उसके जैसी बन जाती है माँ
ReplyDeleteबहुत बढ़िया!
ReplyDeleteबहुत सुन्दर ..यह शब्दावली जैसे बच्छा समझता भी है ...
ReplyDeleteसुंदर भावाभिव्यक्ति।
ReplyDeleteबहुत सुन्दर और प्यारी रचना.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर है कविता।
ReplyDeleteअनगिन शब्द,
ReplyDeleteउनमें भरे तोतले,
मीठे बोल,
दिया उन्हें नया अर्थ,
नया आयाम,
भरकर इसमें अपना स्नेह,
अपना प्यार
बना ली एक शब्दावली
अपने लिए,मेरे लिए. ..
..
सुन्दर भावों से सजी एक मीठा स्पर्श देती हुई रचना !
वाह,बहुत ही सुन्दर,संवेदनशील कविता !
ReplyDeleteआभार !
बहुत सुन्दर । मां बनकर बेटी का लोरी याद करते हुए लोरी गाना अपनी बेटी के लिए --अद्भुत अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteमुझसे संवाद की चाहत में
ReplyDeleteरच लिया था तुमने
एक नया संसार
जहाँ बस मैं थी,तुम थी,
और था
तोतले बोलों में बसा
तुम्हारा सागर सा प्यार.
जीवन का क्रम यही है और हमारा संसार हमें बहुत कुछ दे जाता है ....आपका आभार
मुझसे संवाद की चाहत में
ReplyDeleteरच लिया था तुमने
एक नया संसार
जहाँ बस मैं थी,तुम थी,
और था
तोतले बोलों में बसा
तुम्हारा सागर सा प्यार.
तोतले बोल हमें विरासत में मिलते हैं जो हमारे बच्चों के रूप में साकार होते हैं....
बहुत सुंदर कविता...बहुत सुंदर भाव....
तुतलाहट में पिघलते शब्द.
ReplyDeleteये तुतलाते शब्द कितनी जल्दी अपना बना लेते हैं ...कहीं बहुत बचपन से अपने जो होते हैं ...
ReplyDeleteसुन्दर अभिव्यक्ति !
अपना प्यार
ReplyDeleteबना ली एक शब्दावली
अपने लिए,मेरे लिए. ..
सुन्दर भावों से सजी एक संवेदनशील रचना !
बहुत ही प्याली लचना है...
ReplyDeleteभूत-भूत सुन्दल...
अले बाबा... अरे बाबा... ये क्या देखिये आपकी रचना का असर कि मैं भी तोत्लाने लगी...
ये रचना पढ़ मुझे अपनी भांजी याद आ गई... अभी वो भी थोडा-थोडा तुतलाती है...
परन्तु सच बच्चे होते ही ऐसे हैं... साफ़ निर्मल मन के...
एक ही शब्द है इस कविता के लिए "अद्भुत". सुंदर ममतामयी प्रस्तुति.
ReplyDeleteमां न होती तो शायद इन तुतलाते शब्दों कीहमियत ही न होती। सुन्दर रचना। बधाई।
ReplyDeletethat was so sweet.specially the begining lines i loved it
ReplyDeleteआपकी इस रचना ने तो भावविभोर कर दिया ...सुंदर ममतामयी शब्दों से सजी रचना..
ReplyDeletetutlate hue shabdo ke saath bhi ek alas si kavita gadhh daali aapne...bahut khub!
ReplyDeletear ghar me chhote bachchon ke sath ek naya shabd kosh banta hai..jo us ghar ka dharmgranth ho jata hai......bahut sunder...
ReplyDeleteबच्चों का तोतलापन वाक़ई बहुत अच्छा लगता है.
ReplyDeletebache ke sath bachchon sa samvaad aur unki totli bhasha mann mein ek naye umang ka sanchaar hota hai. insaan kitna bhi dukhi ho lekin bachchon ke is shabdaawali se mann khil jata hai. bahut pyaari aur bhaavpurn rachna, badhai sweekaaren.
ReplyDeleteमुझसे संवाद की चाहत में
ReplyDeleteरच लिया था तुमने
एक नया संसार
जहाँ बस मैं थी,तुम थी,
और था
तोतले बोलों में बसा
तुम्हारा सागर सा प्यार.
वाह ... बहुत ही सुन्दर भावमय करते शब्द ।