ये ख़त है
जो कभी
तुमनें लिखे थे
मुझको.
उसका अक्षर-अक्षर
तेरा अक्श बन
उभर आता है
आज भी
मेरे जेहन में
चाहे-अनचाहे.
क्योंकि
इन खतों में हैं
कुछ हँसते,
खिल-खिलाते पल,
कुछ सिसकते,
सहलाते पल.
बांटा था जिन्हें
हमने
आपस में
मिल-बैठकर.
इन पलों में
आज भी
सिमटी है
मिलने की चाह,
न मिल पाने का गम,
दूर रहकर भी
पास होने का भ्रम
जो पलता रहा है,
बढ़ता रहा है
सदा
साथ-साथ
तेज होती
धडकनों में
पलती है
प्यार की तपिश
जो देती है
झुलसने का
मीठा अहसास.
ये सब सिमटे हैं
शब्दों के घरौंदे में.
घरौंदा
जो घर हो गया है
बीती बातों का,
आशाओं का,
अरमानों का,
धड़कनों में छिपी
विवशता का,
बैचैनी का
टूटते-बनते रिश्तों का.
मेरे-तुम्हारे होने का
एक-दूसरे से अलग
एक-दूसरे के साथ
जीवनपर्यंत
एक सिलसिला बनकर.
के. महावीर का संगीतवद्ध और उषा मंगेशकर का गाया एक बहुत पुराना ग़ैर फिल्मी नग़्मा याद दिला दिया आपने(मेरा पसंदीदा हुआ करता था)...
ReplyDeleteवो जो ख़त तूने मोहब्बत में लिखे थे मुझको,
बन गये आज वो साथी मेरी तन्हाई के!
बहुत सुंदर कविता!!
खतों में यादों का भण्डार है।
ReplyDeletebahut sunder bhaw.
ReplyDeleteखत के माध्यम से आपने जीवन के कुछ्छ सच्चाई से सामना कराया। बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
ReplyDeleteनए साल का पहला विचार
... bhaavpoorn !!
ReplyDeleteतेज होती
ReplyDeleteधडकनों में
पलती है
प्यार की तपिश
जो देती है
झुलसने का
मीठा अहसास.
खतों में सूखे फूल में रहता है ये एहसास
लिफाफा देख कर मजमून भांपने की कोशिश की थी, लेकिन यह तो ''जैसे सूखे हुए फूल किताबों में मिले''
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteprajyanp pandepragya to me
ReplyDeleteबहुत प्रेमपूर्ण भाव हैं ..
Hansraj sugya to me
ReplyDeleteशानदार रचना राजीव जी!!
इन पलों में
ReplyDeleteआज भी
सिमटी है
मिलने की चाह,
न मिल पाने का गम,
दूर रहकर भी
पास होने का भ्रम
xxxxxxxxxxxxxx
इन यादों में ही कई बार जीवन का सफ़र आनंदायक बन जाता है और कई बार बहुत कष्टदायक ..यह भ्रम की स्थिति.......... इस से निकल पाना बहुत आसन नहीं ...शुक्रिया मेरे ब्लॉग तक आकर एक सार्थक और प्रोत्साहित करने वाली टिप्पणी के लिए ...
नव वर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनायें स्वीकार करें देर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ ,,,,
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति ।
ReplyDeleteदेर से आने के लिए क्षमा
नए साल की आपको सपरिवार ढेरो बधाईयाँ !!!!
Ranjana to me
ReplyDeleteभावुक बहुत ही सुन्दर अभिव्यक्ति...
मनमोहक कविता/भावोद्गार..वाह !!!!
vandana gupta to me
ReplyDeleteखतों के माध्यम से दिल का हाल कह दिया।
एहसास लिपिबद्ध हो जाते हैं खतों में...
ReplyDeleteसुन्दर!
veena srivastava
ReplyDeleteto me
"मेरे-तुम्हारे होने का
एक-दूसरे से अलग
एक-दूसरे के साथ
जीवनपर्यंत
एक सिलसिला बनकर."
बहुत खूबसूरत एहसास...भावपूर्ण रचना....बधाई हो.
बहुत ही खुबसूरत एहसास बीते दिनों की यादों के साथ !
ReplyDeleteपड़कर अच्छा लगा ! बधाई दोस्त !
मेरे ब्लॉग पार आने के लिए मैं आप सबका दिल से आभारी हूँ.
ReplyDeleteखतों में यादों का एहसास
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति
ख़त पर आपकी सुन्दर - सी कविता पढ़कर मुझे अपनी गज़ल का एक शेर याद आ रहा है:-
ReplyDeleteइस दर्जा मिला है मुझे पैगामे-मुहब्बत,
गोया की शहंशाह को मुमताज़ तेरा ख़त.
ReplyDeleteबेहतरीन अभिव्यक्ति की झलक है आपकी रचना में ....
आप अपनी जगह बनाने में कामयाब रहेंगे हार्दिक शुभकामनायें !!
इन खतों में क्या है?.....इन खतो में जिन्दगी जीने का सार है... भाई जी
ReplyDeleteअगर ये ख़त ना होते तो आज जिन्दगी कुछ अधूरी सी होती
आपकी कविता का हर शब्द सच से परिपूर्ण है ...ऐसे ही लिखते रहे