कल
तुम्हारा .
जन्मदिन है,
बहुत खुश था मैं
यह सोचकर।
सोचा था
तुम्हारी मम्मी के साथ
जाऊंगा बाजार
बर्थ-डे-केक लाऊंगा,
साथ ही लाऊंगा
ढेरों गिफ्ट
पूरे घर को सजाऊंगा
तुम्हारे लिए।
पर,
मेरी विवशता तो देखो
बाजार तो गया,
मगर,
न बर्थ-डे केक
ले पाया,
न ही गिफ्ट
तुम्हारे लिए.
क्योंकि जेब में
उतना पैसा नहीं था,
नया-नया मकान
जो बनाया था.
इसलिए ले आया था
कुछ पेस्ट्री,
कटा-कटाया केक
कह लो,
तुमसे ही कटवाया था
उसे
एक बार फिर
तुम्हारा मन बहलाने को ,
क्या करता मैं?
दुनियांदारी के भंवर में
जो फंसा था ,
जीवन मेरे लिए
"नीरस विवशता" के सिवा
कुछ और नहीं रह गया था ।
सच कहूँ तो मेरा शरीर
दायित्व से दबा था ,
और मन दबा था
वादा पूरा न कर पाने के
बोझ तले.
लेकिन जनता हूँ
ये दिन भी निकल जायेंगे
और दिन की तरह,
निकल आएगा सूरज
बादलों की ओट से ।
एक दिन
"लेकिन जनता हूँ
ReplyDeleteये दिन भी निकल जायेंगे
और दिन की तरह,
निकल आएगा सूरज
बादलों की ओट से ।
एक दिन "
bahut sunder kavita !
फाजली साहब का एक दोहा है :
ReplyDeleteछोटा करके देखिये, जीवन का विस्तार,
आँखों भर आकाश है, बाहों भर संसार
तो जनाब खुशियाँ तो छोटी छोटी ही है, मकान के बजे केक में भी मिल सकती है ... खैर, मकान बनाने के बाद ही मिलती है तो वो ही सही ... अंत तो आपका सकारात्मक है, अंत भला तो सब भला ...
लिखते रहिये ...
is ek din ke liye agar hum pahle sochen to suraj hamesha saath hoga
ReplyDeletewonderful !
ReplyDeleteलेकिन जनता हूँ
ReplyDeleteये दिन भी निकल जायेंगे
और दिन की तरह,
निकल आएगा सूरज
बादलों की ओट से ।
एक दिन
बिल्कुल एक दिन ऐसा अवश्य आयेगा……………बहुत सुन्दर भावाव्यक्ति।
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ReplyDeletebhuat sundar rachna, ye apka nahi kafi logo ko dukh hai..
ReplyDeletemagar dukh ke baad sukh ata hee hai. so be happy always
aiseee janamdin manane ka ek alag sa maja hai sir jee........:)
ReplyDeletebahut pyari rachna.....ek dum dil ke jajbato ko chhute hue....!!
bahut hi khubsurat rachna...
ReplyDeleteyun hi likhte rahein.....
mere blog par bhi padharein...
राजीव भाई बात बनते बनते रह गई। कविता तो आख्रिरी की पंक्तियों में ही है। कुछ थोड़ी सी शुरू में बीच के हिस्से को इतना लम्बा करने की जरूरत ही नहीं थी। बच्चे के प्रति आपकी संवेदना बाजार में खो गई ।
ReplyDeleteबहुत खूब...
ReplyDeleteदेर से आने के लिए क्षमा प्रार्थी हूँ सुन्दर भावाव्यक्ति।
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