तुम्हारे दुपट्टे की लाली मे
सुबह का सूर्य बिम्बित है
उजाले का प्रथम सन्देश लेकर .
तुम्हारे रक्तिम ओठों का
मूक आमंत्रण
मेरे जीवन का सार ,
प्रगति का आधार है.
सूरज सा लगता है
तुम्हारा साथ,
निराशा में भी करती है
आशा का संचार.
तुम्हारे होने मात्र से ही
रौशन है
हमारा दिन,
हमारी रात,
तुममें ही समाया है
हमारा पूरा संसार.
तुम हो
तो दिन हमारा है,
रात हमारी है,
आसमान में टंगा सूरज,
चाँद हमारा है,
सारी दिशाएं,
हमारी है .
जरूरत है तो बस
उन्हें उगते-डूबते,
डूबते-उगते
देखते रहने की,
समझते रहने का
उनसे आता पैगाम
तुम्हारे सहारे .
आदरणीय राजीव जी..
ReplyDeleteनमस्कार
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति के साथ ही एक सशक्त सन्देश भी है इस रचना में।
रंगों का त्यौहार बहुत मुबारक हो आपको और आपके परिवार को|
ReplyDeleteकई दिनों व्यस्त होने के कारण ब्लॉग पर नहीं आ सका
तुम हो
ReplyDeleteतो दिन हमारा है,
रात हमारी है,
आसमान में टंगा सूरज,
चाँद हमारा है,
सारी दिशाएं,
हमारी है
........सार्थक और भावप्रवण रचना।
Rajiv sir aap bhi hamari tarah let-lateef ho gaye hain, bahut dino par aapki rachnayen mil rahi hai...!
ReplyDeleteye alag hai der se hi sahi...aisee rachna aayee jo kahin dil me lagi...kuchh satranga sa chamka...:)
kuchh purani yaad aayee...
par jo bhi hua...ekdum se achchha laga..!
badhai!
तुम हो
ReplyDeleteतो दिन हमारा है,
रात हमारी है,
आसमान में टंगा सूरज,
चाँद हमारा है,
सारी दिशाएं,
हमारी है .
bahut kuch simat aaya hai is tum me
अच्छी रचना ...मन के भावो का सुन्दर चित्रण
ReplyDeleteमंजुला
बहुत सुन्दर रचना ! मनोभावों की सशक्त प्रस्तुति ! बधाई स्वीकार करें !
ReplyDeleteAap ko to Guru banana padega.
ReplyDeleteदुपट्टे में लहराते मन के भाव।
ReplyDeleteराजीव जी काफी दिनों बाद आपकी कोई कविता पढने को मिली और मन आह्लादित हो गया .. बहुत सुन्दर रचना.. दुप्पटे में लहराते मन के भाव की अभिव्यक्ति बड़े रोमांटिक अंदाज़ में हुई है.. बहुत बढ़िया..
ReplyDeletebahut hi sundar abhivaykti
ReplyDeleteभावपूर्ण सुन्दर अभिव्यक्ति इस रचना के माध्यम से मुखरित हुई है.
ReplyDeleteआपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
ReplyDeleteप्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
कल (24-3-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।
http://charchamanch.blogspot.com/
जरूरत है तो बस
ReplyDeleteउन्हें उगते-डूबते,
डूबते-उगते
देखते रहने की,
समझते रहने का
उनसे आता पैगाम
तुम्हारे सहारे .
बहुत सार्थक भावमयी प्रस्तुति..बहुत सुन्दर
डाकिया डाक लाया...
ReplyDeleteबहुत सुंदर रचना।
ReplyDeleteतुम हो
ReplyDeleteतो दिन हमारा है,
रात हमारी है,
आसमान में टंगा सूरज,
चाँद हमारा है,
सारी दिशाएं,
हमारी है .
भाव पूर्ण रचना के लिए बधाई.
mini seth to me
ReplyDeleteBAHUT KHOOB.....BAHUT BAHUT ACCHA LIKHTE HO AAP
PADH KAR MAAN KHUSH HO JATA HAI
Roomani jazbon se labrez kavita.
ReplyDeleteहोली के पर्व की अशेष मंगल कामनाएं।
धर्म की क्रान्तिकारी व्यागख्याै।
समाज के विकास के लिए स्त्रियों में जागरूकता जरूरी।
komal bhawon ki bahut hi sundar kavita.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना लिखा है आपने! बधाई!
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDeletebahut sunder bhav aapki kavita ke
ReplyDeleteबहुत सुन्दर रचना.
ReplyDeleteआदरणीय राजीव सर
ReplyDeleteनमस्कार . बहुत दिनों बाद आज मेल पर आया हूँ.. और आते ही आपकी एक खूबसूरत कविता पढने को मिली... आपकी कविता में साधारण होते हुए भी कुछ नई बात कह जाती है नए विम्ब के साथ...सर बड़ी बात यह नहीं कि बड़े और लोफ्टी एवं हाई सौन्डिंग शब्दों में बात कही जाए... बड़ी बात यह है कि साधारण और सहजता से सहज बातें कही जाएँ... प्रेम, एक दुसरे को करीब से महसूस करने का जो भाव आपने इस कविता में कहा है दुपट्टा के माध्यम से वह अद्भुद है.. अभी रोबेर्ट फ्रोस्ट को पढ़ रहा था.. उनकी एक कविता है 'बोंड एंड फ्री' संवेदना के स्तर पर आप बड़े कवियों के कैसे समकक्ष हैं देखिएगा इस कविता में ....
Bond And Free
Love has earth to which she clings
With hills and circling arms about--
Wall within wall to shut fear out.
But Thought has need of no such things,
For Thought has a pair of dauntless wings.
On snow and sand and turn, I see
Where Love has left a printed trace
With straining in the world's embrace.
And such is Love and glad to be
But Thought has shaken his ankles free.
Thought cleaves the interstellar gloom
And sits in Sirius' disc all night,
Till day makes him retrace his flight
With smell of burning on every plume,
Back past the sun to an earthly room.
His gains in heaven are what they are.
Yet some say Love by being thrall
And simply staying possesses all
In several beauty that Thought fares far
To find fused in another star.
itne bhari bharkam word se likhe hue apki rachna. per sir aab dupatte ka jamana nahi raha
ReplyDeleteबहुत खूबसूरत रचना
ReplyDelete