पा लिया है तुम्हें ,
पर खो दिया है तुम्हें न पाने का दर्द।
हरपल मन को तरसाती, तडपाती,
आशा और निराशा के बीच झुलाती ,
दर्द के पलों में बसी ,
तेरे आने की बात मन को गुदगुदाती ,
पर तुम्हारे न आने की आशंका ,
अपनी कमजोरी का एहसास
विवश कर जाती ,
अजीब सी तड़प छोड़ जाती।
कितने सुनहरे सपने सजाये थे हमने ,
तेरे आते ही सब टूट गए,
ख़त्म हो गयी बेकरारी ,
ख़त्म हो गया इन्तजार ।
लेकिन हम निराश नहीं हैं ,
तुम्हारे रोने और चुप हो जाने में ,
तुम्हारे खिलखिलाने में
अपने दर्द का पर्याय ढूंढ रहे है ,
ढूंढ रहे हैं उनमें सिमटी सुख की सुगंध।
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