पहले की तरह आज भी घायल हुई है रूह
इसबार भी लोगों का चैनों-सुकून छिना है
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
हर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
रोया है आसमान भी औरों के साथ-साथ,
धरती का भी सीना चाक-चाक हुआ है.
चारो तरफ है दर्द का सैलाब यहाँ पर,
जेहन में बस गया है धमाकों का शहर आज.
रखती हैं हवाएं भी कदम फूंक-फूंककर,
इन हादसों का आज ये अंजाम हुआ है.
मजबूर है,कई पेट चल रहे है इसके साथ,
घर बैठ निवाला जुटा पायेगा कहाँ आज.
जाएगा कहाँ भागकर अपनी जमीन से
रफ़्तार में है जिंदगी के मौत साथ-साथ
उड़ते हैं आसमान में बस गिद्ध,चील,बाज,
डैनों में कहाँ दम कि कबूतर करें परवाज
हैवानियत की हर तरफ तस्वीर दिख रही
शांति का मसीहा नहीं दिखता है कहीं आज.
(एक बार फिर देश की आत्मा लहू-लुहान हुई है)
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
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बहुत अच्छा लिखा है. बधाई. कल के चर्चा मंच पी आप कि यह पोस्ट लोगों तक पहुंचाई जाएगी.
मुंबई के धमको से एक बार फिर इस देश का ह्रदय फिर छलनी हुआ .....पता नहीं कब आतंक का काला साया अपने देश से जायेगा ?
ReplyDeleteजाएगा कहाँ भागकर अपनी जमीन से
ReplyDeleteरफ़्तार में है जिंदगी के मौत साथ-साथ
वर्तमान परिस्थिति पर मर्मस्पर्शी चिंतन....सार्थक अभिव्यक्ति....
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
बहुत मार्मिक है.
बहुत ही अच्छा लिखा है आपने ...आभार ।
ReplyDeleteहिन्दू मरा है , न मुसलमान मरा है
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इंसान मरा है
.................मर्माहत करने वाली घटना पर मार्मिक रचना
kab tak...........akhir kab tak!!
ReplyDeleterachna marmik hai...
par aise rachna ko rachne ki jarurat na hi pade ...hai na !!
मर्मस्पर्शी रचना ।
ReplyDeleteन हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
बहुत मार्मिक है.
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति..
बहुत संवेदनशील और मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteन हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
-संवेदनशील अभिव्यक्ति!!!
मार्मिक कविता .हिला कर रख दिया .
ReplyDeleteहृदयस्पर्शी ओर मार्मिक अभिव्यक्ति के लिए आभार.
ReplyDeleteशब्दों से मानो दर्द ही टपक रहा हो.
मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है.
समसामयिक मुद्दे पे प्रभावी रचना
ReplyDeleteबहुत सुन्दर
ReplyDeleteमार्मिक रचना
[Offline] shyam kori 'uday' to me
ReplyDelete... बेहतरीन !!
[Offline] shardindu kumar singh to me
ReplyDelete"good"
बहुत मार्मिक और संवेदनशील प्रस्तुति..
ReplyDeleteन हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
......मुंबई के धमको से दिल देहल गया है ....
................बहुत मार्मिक प्रस्तुति
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
बिल्कुल सही कहा मरता इंसान ही है हमेशा पता नही कैसे हम उन्हे बाँट देते हैं………मार्मिक अभिव्यक्ति।
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
मार्मिक प्रस्तुति
न हिन्दू न मुसलमान, बस हिन्दुस्तान मरा है।
ReplyDeleteऐसे सतही विषय आपके लिए नहीं है राजीव सर...आप को ऐसे विषय पर पोलिटिकली करेक्ट कविता लिखनी होती है...ऐसे में पोएटिक जस्टिस नहीं हो पता... खैर... कहूँगा कि अच्छी कविता है...
ReplyDeleteएक ह्रदयस्पर्शी रचना...
ReplyDeleteसच है कोई धमाका जात नहीं देखता...
ना धमाका करने वाला शैतान ही जात देखता है...
हम ही हैं जो धमाकों में भी "रंग" खोज लेते हैं... ये धमाका भगुए रंग का... ये धमाका हरे रंग का...
सुन्दर लिखा है आपने...
सादर...
prasangik avum achhi kriti.
ReplyDeleteshubhkamnayen
बहुत खूबसूरत प्रस्तुति ||
ReplyDeleteबधाई ||
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
धमाका करने वाला लेकिन पक्का हैवान ही है.
मार्मिक कविता के भाव
ReplyDeleteइंसान ही मरा विभाजन हुआ देश का तो इंसान ही मरे
घर उजड़े ,सुहाग उजड़े ,परिवार उजड़े कोखें सूनी हुई
( आज भी दृश्य आँखों के सामने हैं)
Bahut marmsparshi rachna............in logon ke dilon men raham nahi hai.......
ReplyDeleteबहुत संवेदनशील और मार्मिक प्रस्तुति
ReplyDeleteRekha Srivastava to me
ReplyDeleteये कमेट दो बार पोस्ट किया लेकिन डिस्प्ले नहीं हो रहा है. सो आपके पास भेज रही हूँ.
"शांति के मसीहे तो सत्ताधारियों को दुश्मन नजर आते हैं और जो दहशत फैलाने में लिप्त हैं वे सरकारी मेहमान से पाले जाते हैं.
एक मुखौटा सा नजर आता है हर शख्स के चेहरे पर, कौन सा आइना लायें तो उस तस्वीर को उजागर करे लोगों के सामने.
मुंबई की घटना से आहट हो जो लिखा है वह बहुत सुंदर लिखा है."
इस तरह के दंगों में मरता है बस इंसान !
ReplyDeleteन वो हिन्दू होता है और न होता है मुसलमान !!
JUST EXCELLENT....!!
न हिन्दू मरा है,न मुसलमान मरा है,
ReplyDeleteहर एक धमाके में बस इन्सान मरा है.
bahut sahi likha hai. shubhkaamnaayen.