हरप्पा और मोहनजोदारो की खुदाई
मिले थे यहाँ प्राचीन सभ्यता और संस्कृति के अवशेष
ये धरोहर हैं हमारे अतीत के ,
हमारी मान्यताओं के ,भावों और भावनाओं के
ना जाने ऐसे कितने ही विकसित सभ्यता के प्रतीक
आज सामने हैं हमारे
" खंडहर " के रूप में ।
सभ्यता की खोज !
खुदाई और उत्खनन की पुरानी और दुरूह प्रक्रिया से
मुर्खता नही तो और क्या है ?
आज के आधुनिक और स्वर्णिम विकास के युग में ,
हमने धरातल पर ही लगा दिए हैं
खंडहरों के अम्बार-
कहीं हिरोशिमा तो कहीं नागासाकी के बाज़ार
परमाणु की ताकत और उसकी विनाशक क्षमता से ।
हमने सोचा क्यों न फ़िर से बसा लें
एक छोटा सा खंडहरों का संसार
जहाँ हमारी आनेवाली पीढियां खोज पाएँगी
अपनी नई सभ्यता और संस्कृति के आधार
खंडहर ,खंडहर और खंडहर.
अच्छी कविता, अच्छे भाव। खंडहरों को लेकर अतीत औऱ वर्तमान पर की गई बातें पसंद आई।
ReplyDeleteऐसा क्यों न करें अब
ReplyDeleteकि खंडहरों की जरूरत
ही न पड़े
ऐसा कुछ उपक्रम करें
इसी दिशा में श्रम करें।
khandhar aur vikas ke baach ka aapka dwand chintan yogya hai... pehli baar mein kavita ke bhaaw nahin samaj paaya... kyonki iss kavita ko samajhne ke liye itihas ka boodh hona jaruri hai... achhi kavita ke liye badhai
ReplyDeleteराजीव जी, ब्लाग जगत में रचनाओं के तिनके जोड़ कर एक अपना घोंसला बनाने का आपका जतन सफल हो. ढेरों शुभकामनाएं.
ReplyDeleteबस ब्लाग जगत के बाजों और बहेलियों से अपने स्वप्नों का घरौंदा बचा कर रखिएगा.
achcha likha badhiya hai...
ReplyDeletehausla aafjai ke liye aapsab ko bahut-bahut dhanyad
ReplyDeleteRAJIV
Rajiv ji,
ReplyDeleteaapka 'ghansala' dekh, mera banayi ek fiber art kee name plate yaad aa gayee..
http://fiberart-thelightbyalonelypath.blogspot.com
is blog pe...apnee betee ke liye banayee thee..lekin uske shipment me kho gayee...zaroor dekhen..!
"Name plates" is sheershak tahat..
http://aajtakyahantak-thelightbyalonelypath.blogspot.com
http://shamasansmaran.blogspot.com
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खंडहरों का शहर ...विचार करने योग्य है ..!!
ReplyDeleteऐसे कितने ही विकसित सभ्यता के प्रतीक
ReplyDeleteआज सामने हैं हमारे
" खंडहर " के रूप में ।
..........bahut khaas abhivyakti