tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post7151517608660078941..comments2023-09-20T08:51:12.052-07:00Comments on Ghonsla: रिक्शावालाRajivhttp://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-63359342866710133412010-06-02T21:00:06.215-07:002010-06-02T21:00:06.215-07:00haaan!! Rashmi di ne sahi kaha......garibo ko duhn...haaan!! Rashmi di ne sahi kaha......garibo ko duhna aur fir sarab ke rash me apne ko sarabor kar dena..........yahin to unki jindagi hai...:(<br /><br />ek prasangik aur dil ko chhune wali rachna!!<br /><br />kya kabhi hamare blog pe aayenge!!मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-38810878995250164862010-06-02T11:01:58.696-07:002010-06-02T11:01:58.696-07:00बहुत सुन्दर रचना,,परन्तु जीवन का उद्देश्य है ..कम...बहुत सुन्दर रचना,,परन्तु जीवन का उद्देश्य है ..कमाना और शांति से जीना ,,,वो दिन में कमाता है ..रात को किसी भी प्रकार शांति से सो जाता है ,,चाहे वो शांति काल्पनिक और कृत्रिम हो ............वास्तविक शांति बहुत ही कम देखेने को मिलती है ....अच्छा और सार्थक लेखनRahttps://www.blogger.com/profile/08726389437723424230noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-81901884946519669172010-06-02T08:12:41.495-07:002010-06-02T08:12:41.495-07:00अनुभवों की जो चाभी इस उम्र में आपके पास है, वो आपक...अनुभवों की जो चाभी इस उम्र में आपके पास है, वो आपकी रचनाओं के मध्य से गुजरती है , और बहुत कुछ सोचने पर बाध्य करती हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-18072920744472202402010-06-02T08:11:08.861-07:002010-06-02T08:11:08.861-07:00कोलकाता हो या कोई भी शहर....एक गरीब की स्थिति इतनी...कोलकाता हो या कोई भी शहर....एक गरीब की स्थिति इतनी सी ही होती है....पेट के लिए चलता हुआ , थकान से बेबस शराब को हमसफ़र बना लेता है और ज़िन्दगी शुरू सी लगती ख़त्म होती हैरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-49794109556670990342010-06-02T07:03:27.993-07:002010-06-02T07:03:27.993-07:00बहुत सुंदर रचना... आज यह अधिक प्रासंगिक भी है क्यो...बहुत सुंदर रचना... आज यह अधिक प्रासंगिक भी है क्योंकि लाल गढ़ को धक्का लगा है... पहली बार... क्या नया परिवर्तन कोल्कता का यह चरित्र बदल पायेगा... देखना होगा... मर्म से भरी कविता... अंतिम पंक्तियाँ... नया बिम्ब गढ़ रही है... दोनों खाली... इक सुंदर और सार्थक रचना के लिए कोई भी बधाई कम है...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.com