tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post6673724642626972800..comments2023-09-20T08:51:12.052-07:00Comments on Ghonsla: खेतRajivhttp://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-56548173986450672092010-11-11T04:38:10.476-08:002010-11-11T04:38:10.476-08:00लाजवाब रचना …………भावों को सम्पूर्णता प्रदान की है।लाजवाब रचना …………भावों को सम्पूर्णता प्रदान की है।संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-57034380888708154912010-11-10T16:02:56.059-08:002010-11-10T16:02:56.059-08:00अब तो खेतों में
खड़ी है
टीस की फसल
लहलहाती सी
...अब तो खेतों में <br />खड़ी है <br />टीस की फसल <br />लहलहाती सी <br />जिसके बीज को <br />अपनों ने बोया हैं,<br />बहुत सुंदर राजीव जी। खेत के माध्यम से आपने जीवन के दर्शन को बहुत अच्छी तरह से व्यक्त किया है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-22196233751043487452010-11-10T09:13:14.152-08:002010-11-10T09:13:14.152-08:00हम आज भी
नहीं समझ पाए है
हमने क्या पाया,
हमने क्...हम आज भी <br />नहीं समझ पाए है <br />हमने क्या पाया,<br />हमने क्या खोया है. <br /><br />हम देख समझ सब रहे हैं लेकिन इतनी बर्बादी के बाद भी शहर की दिखावटी चकाचोंध बावरा किये रखती है और मृगतृष्णा का काम करती है.<br /><br />सुंदर विषय और सुंदर कथन.अनामिका की सदायें ......https://www.blogger.com/profile/08628292381461467192noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-74154614317092631142010-11-10T09:08:20.480-08:002010-11-10T09:08:20.480-08:00खेत के माध्यम से बहुत गहरी बातें...खेत के माध्यम से बहुत गहरी बातें...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-81233250533226467342010-11-10T04:33:29.443-08:002010-11-10T04:33:29.443-08:00सच ही है खेत अब जीवन लेने लगे हैं कितने ही किसान आ...सच ही है खेत अब जीवन लेने लगे हैं कितने ही किसान आत्महत्या जो कर लेते हैं. बहुत गहरी बातें, सिर्फ खेत ही नहीं समूचा समाज आ गया इस घेरे में.रचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-76772784190942685552010-11-10T01:20:38.735-08:002010-11-10T01:20:38.735-08:00अब तो खेतों में
खड़ी है
टीस की फसल
लहलहाती सी
जिसक...अब तो खेतों में<br />खड़ी है<br />टीस की फसल<br />लहलहाती सी<br />जिसके बीज को<br />अपनों ने बोया हैं,<br /><br />जीवन दर्शन से लबरेज़ कविता……………खेत के माध्यम से ज़िन्दगी की हकीकतों से रु-ब-रु करा दिया।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-54950142573252467812010-11-10T01:07:30.011-08:002010-11-10T01:07:30.011-08:00जीवन देने वाले तत्व अब जीवनी शक्ति सोखने वाले बन ग...जीवन देने वाले तत्व अब जीवनी शक्ति सोखने वाले बन गये हैं।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com