tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post1601701191537144981..comments2023-09-20T08:51:12.052-07:00Comments on Ghonsla: दूसरा किनाराRajivhttp://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-3587796894307806942011-01-19T05:18:37.439-08:002011-01-19T05:18:37.439-08:00काश ऐसे किसे द्वन्द से मुक्ति पा लेना इतना आसान हो...काश ऐसे किसे द्वन्द से मुक्ति पा लेना इतना आसान होता...<br />बहुत प्यारी रचना...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-78343669716328034332011-01-15T08:54:46.797-08:002011-01-15T08:54:46.797-08:00प्रत्येक व्यक्ति के अंतर्मन का द्वंद्व आपने अपनी प...प्रत्येक व्यक्ति के अंतर्मन का द्वंद्व आपने अपनी पंक्तियों में सँजोया है.. लेकिन इस द्वंद्व से मुक्ति.... है क्या??चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-82344331439527124922011-01-15T04:47:14.015-08:002011-01-15T04:47:14.015-08:00जब एक किनारा पकड़ ही लिया है तो बेहतर है पहले किना...जब एक किनारा पकड़ ही लिया है तो बेहतर है पहले किनारे को भूल जाना। या तो दोनो किनारे पर टहलते रहिए.....। मगर जब छोड़ देने की सोची है तो छोड़ देना चाहिए एक किनारा....कुछ पल कुछ क्षण भले ही याद आ जाए....<br /><br />रचना अच्छी लगीRohit Singhhttps://www.blogger.com/profile/09347426837251710317noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-3849539857330587172011-01-14T19:07:43.702-08:002011-01-14T19:07:43.702-08:00अंतर्द्वंद को उकेरती बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.. ...अंतर्द्वंद को उकेरती बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति.. <br />आपको और आपके परिवार को मकर संक्रांति के पर्व की ढेरों शुभकामनाएँ !"संजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-51282332113848926012011-01-14T17:38:55.378-08:002011-01-14T17:38:55.378-08:00किनारों के इस द्वंद्व से मुक्ति नदी बन कर ही मिल स...किनारों के इस द्वंद्व से मुक्ति नदी बन कर ही मिल सकती है, जो यों तो दो किनारों को अलग करती जान पड़ती है, लेकिन वस्तुतः दोनों किनारे नदी से ही आपस में जुड़ते हैं.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-50263532760616032752011-01-14T08:20:29.217-08:002011-01-14T08:20:29.217-08:00sundar kavita.... kinaron ka badhiya upyog hai .. ...sundar kavita.... kinaron ka badhiya upyog hai .. suvidhanusaar....अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-14883449234252385842011-01-14T06:20:30.802-08:002011-01-14T06:20:30.802-08:00बहुत अच्छी लगी यह रचना।बहुत अच्छी लगी यह रचना।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-35608487859182786382011-01-14T06:09:46.986-08:002011-01-14T06:09:46.986-08:00तुम साथ रहो,
मेरे पास रहो
अपना बनकर,
उसे रहने दो ...तुम साथ रहो,<br />मेरे पास रहो<br />अपना बनकर, <br />उसे रहने दो <br />दिल के किसी कोने में <br />मेरा अतीत,<br />मेरा सपना बनकर<br />और <br />देदो मुझे <br />मेरे द्वंद्व से मुक्ति..<br /><br />मन के अंतर्द्वंद को उकेरती बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति..Kailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-13603611096247015932011-01-14T04:55:50.441-08:002011-01-14T04:55:50.441-08:00पुरातन और नवीन का द्वन्द, जीवन के हर अंग में।पुरातन और नवीन का द्वन्द, जीवन के हर अंग में।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-43285373921812887002011-01-14T04:50:55.887-08:002011-01-14T04:50:55.887-08:00जब-जब
देखता हूँ
पीछे मुड़कर ,
लगता है
पाकर भी
ब...जब-जब <br />देखता हूँ<br />पीछे मुड़कर , <br />लगता है<br />पाकर भी <br />बहुत कुछ खोया है <br />मैंने अपना.<br /> jane kyun ...sach bhi hai , pane se adhik khone ka ehsaas rahta hai ... mann ki sthiti ko sakar kar diya haiरश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-15140162659321623942011-01-14T03:46:11.954-08:002011-01-14T03:46:11.954-08:00मेल से पढी थी, शानदार रचना…
**********************...मेल से पढी थी, शानदार रचना…<br />*****************************************************************<br />उतरायाण: मकर सक्रांति, लोहड़ी, और पोंगल पर बधाई, धान्य समृद्धि की शुभकामनाएँ॥<br />*****************************************************************सुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-29483027768224169862011-01-14T02:46:47.702-08:002011-01-14T02:46:47.702-08:00minakshi pant
to me
bahut hi khubsurat bite di...minakshi pant<br /> to me<br /> <br />bahut hi khubsurat bite dino ke yesas liye hue <br />padkar bahut accha lga dostRajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-85332329670385635232011-01-14T02:21:18.385-08:002011-01-14T02:21:18.385-08:00तुम साथ रहो,
मेरे पास रहो
अपना बनकर,
उसे रहने दो
द...तुम साथ रहो,<br />मेरे पास रहो<br />अपना बनकर,<br />उसे रहने दो<br />दिल के किसी कोने में<br />मेरा अतीत,<br />मेरा सपना बनकर<br />और<br />देदो मुझे<br />मेरे द्वंद्व से मुक्ति. <br /><br />har dil ki baat.......:)<br />kar di aapne...........hai na!!<br />ya fir isko dusre tarah se kahun to 2011 ko kah rahe ho 2010 ko rahne do mera atit, mera sapna bankar...:)मुकेश कुमार सिन्हाhttps://www.blogger.com/profile/14131032296544030044noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-82924653825986624282011-01-14T02:03:32.777-08:002011-01-14T02:03:32.777-08:00जब लगे मेरे बिना न जी सकोगे
सोच लेना जन्म फिर से ...जब लगे मेरे बिना न जी सकोगे<br />सोच लेना जन्म फिर से ले चुके हो<br />और मैं हूँ याद बस पिछले जनम की<br />जिससे बंधनमुक्त कबके हो चुके हो।तिलक राज कपूरhttps://www.blogger.com/profile/03900942218081084081noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-89147482171946758972011-01-14T01:44:00.562-08:002011-01-14T01:44:00.562-08:00सच कहूँ तो अब
मुश्किल लगता है
पल-भर भी जीना
तेरे ब...सच कहूँ तो अब<br />मुश्किल लगता है<br />पल-भर भी जीना<br />तेरे बिना .<br />सच में दूसरा किनारा बड़ा खतरनाक होता है ..परन्तु जब व्यक्ति के सामने कोई चारा नहीं बचता तो व्यक्ति को यह किनारा भी अपनाना पड़ता है ...आपकी कविता बहुत भाव पूर्ण है ...इस रचना के लिए आपको बहुत ...बधाईकेवल रामhttps://www.blogger.com/profile/04943896768036367102noreply@blogger.com