tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post5109684987882078951..comments2023-09-20T08:51:12.052-07:00Comments on Ghonsla: समय का हैमलेट होनाRajivhttp://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-56959694000033209262010-09-19T06:54:24.978-07:002010-09-19T06:54:24.978-07:00अच्छी प्रस्तुति...अच्छी प्रस्तुति...समयचक्रhttps://www.blogger.com/profile/05186719974225650425noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-15620650144693547782010-09-19T01:47:08.215-07:002010-09-19T01:47:08.215-07:00लाजवाब और सत्य, सूक्षमावलोकन बहुत गहरी बात कह गए आ...लाजवाब और सत्य, सूक्षमावलोकन बहुत गहरी बात कह गए आप तो. आप की सभी कवितायेँ एक से बढ़कर एक होती हैंरचना दीक्षितhttps://www.blogger.com/profile/10298077073448653913noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-63792841893335607292010-09-19T01:05:09.129-07:002010-09-19T01:05:09.129-07:00आपने जो लिखा आज का सच है वोआपने जो लिखा आज का सच है वोसंजय भास्कर https://www.blogger.com/profile/08195795661130888170noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-65643668476299606502010-09-18T16:38:10.764-07:002010-09-18T16:38:10.764-07:00गजब..बहुत ही उच्च स्तरीय अभिव्यक्ति!गजब..बहुत ही उच्च स्तरीय अभिव्यक्ति!Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-67258430307612377302010-09-18T09:41:13.919-07:002010-09-18T09:41:13.919-07:00निशब्द........निशब्द........दीपक बाबाhttps://www.blogger.com/profile/14225710037311600528noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-16034279836597397412010-09-18T08:55:30.386-07:002010-09-18T08:55:30.386-07:00समय का हर कतरा
वहशी है,पागल है
क्योंकि उसके हर कतर...समय का हर कतरा<br />वहशी है,पागल है<br />क्योंकि उसके हर कतरे को ढाला है<br />आपने<br />अपने सांचे में<br />सजाया है, संवारा है<br />अपनी मर्जी से<br />अपनी आदतों की तरह .<br />तभी तो सोचता हूँ<br />समय और आप ,<br />आप और मैं<br />एक ही जैसे क्यों हैं. <br /><br /><br /><br />कल.. आज..और कल का बंधन कैसे छूट सकता है भैया ........<br />हम सारी उम्र अपनी ही प्रतिरूप तैयार करते रहते है<br /><br />आपने जो लिखा आज का सच है वो .....बहुत चुनिदा शब्दों के साथ<br />अच्छी अभिव्यक्तिAnju (Anu) Chaudharyhttps://www.blogger.com/profile/01082866815160186295noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-36150816072745049962010-09-18T08:25:22.849-07:002010-09-18T08:25:22.849-07:00राजीव जी जब मै अन्ग्रेजी साहित्य मे एम ए कर रहा था...राजीव जी जब मै अन्ग्रेजी साहित्य मे एम ए कर रहा था... हैमलेट के चरित्र चित्रन मे मैने इसे प्रोब्लेम ओफ़ "I" कहा था... आपके इस कविता के नायक के साथ भी ऐसा ही कुछ है... आधुनिक जीवन के खोखलेपन और द्वन्द को दर्शाती कविता आधुनिक कविता के फ़ोर्मेत मे है... अन्ग्रेजी कविता का स्त्रक्चर है.. सुन्देर कविता...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-81383467833907486862010-09-18T08:24:14.598-07:002010-09-18T08:24:14.598-07:00राजीव -अभिव्यक्ति की इस उचाई को देख कर हतप्रभ हूँ ...राजीव -अभिव्यक्ति की इस उचाई को देख कर हतप्रभ हूँ .इस अदभुत कविता के लिए बधाई .निर्मल गुप्त https://www.blogger.com/profile/14476315180256137151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-91293154873572525572010-09-18T08:11:25.286-07:002010-09-18T08:11:25.286-07:00आज के पिता से आज का एक बेटा जवाब मांग रहा है। और क...आज के पिता से आज का एक बेटा जवाब मांग रहा है। और कुछ साम्यता भी ढूंढ रहा है। राजीव जी के अंदर का कवि इस कविता में अपनी पिछली कविताओं की तुलना कई पायदान ऊपर खड़े होकर पाठक से मुखातिब है। जमीन से उस पायदान पर पहुंचने के लिए पाठक को सर्तक श्रम करना होगा। <br />कविता मध्य में आकर हल्की सी उलझ जाती है। मिदास की कहानी बहुत से पाठक नहीं जानते होंगे। अच्छा होगा कि कविता के अंत में दो लाइन में इस बारे में बता दिया जाए।राजेश उत्साहीhttps://www.blogger.com/profile/15973091178517874144noreply@blogger.com