tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post3515305092343839666..comments2023-09-20T08:51:12.052-07:00Comments on Ghonsla: क्यों नहीं जा पाते तुम....Rajivhttp://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comBlogger29125tag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-49277501999972553042011-08-31T21:28:18.495-07:002011-08-31T21:28:18.495-07:00bahaut hi badhiya rachna...nari man..aur tan dono ...bahaut hi badhiya rachna...nari man..aur tan dono ko vyakhit karti hui...dono ki vyatha ko spast karti hui.... badhai itni badhiya rachna ke liyeGunjanhttps://www.blogger.com/profile/08585406660165756738noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-7929476917784682592010-12-28T22:47:38.838-08:002010-12-28T22:47:38.838-08:00prajyanp pandepragya
to me
तुम्हारे अहम् के साथ
ब...prajyanp pandepragya<br /> to me<br />तुम्हारे अहम् के साथ<br />बढ़ता रहा....... <br />तुम्हारे भीतर का खारापन<br />तुम जीते रहे <br />संगी से इतर<br />रश्मो-रिवाज में बंधकर <br />पुरुष और परंपरा बनकर<br />न जाने क्यों?<br /> aapki ye anubhootiyan saraahneey hain aisee bhaawnaa ka sahyog aaj kii ladatii bhidatii stree ke liye dene ka shukriya evam badhaayi. <br />pragyaRajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-18893613864455465892010-12-28T15:45:51.643-08:002010-12-28T15:45:51.643-08:00आदरणीय बंधुवर राजीव जी
नमस्कार !
क्यों नहीं...<b><i>आदरणीय बंधुवर राजीव जी</i></b> <br /> नमस्कार !<br /><br /><b> क्यों नहीं जा पाते तुम<br />हमारे तन के पार? <br /></b> क्यों ? क्यों ? <br />बहुत सुंदर रचना है ।<br /><br /><b> क्यों नहीं खोलते मन का नाजुक द्वार<br />जहाँ तन में लहराता है<br />बहन का प्यार राखी बनकर <br />माँ का दुलार<br />कौशल्या बनकर,यशोदा बनकर ,<br />तुम मचलते हो बनकर<br />राम और श्याम </b> <br /><br />बहुत सरस और सुंदर ! <br /> <br /> <b>ये तो आज भी है एक पहेली<br />क्यों कोई बन जाता है युधिष्ठिर ,<br />लगा देता है द्रौपदी का शरीर <br />अपने हर दाव पर?<br />क्यों दु:शाशन ठहाके लगता है <br />अपने कृत्य पर? <br />क्यों आज भी मौन हैं पितामह?<br />क्यों ली जाती है अग्नि परीक्षा<br />इस देह की बार-बार लगातार? </b> <br /><br />प्रागैतिहासिक संदर्भों को ले'कर उठाए गए प्रश्न आज भी प्रासंगिक हैं ।<br /><br />कविता कुछ बड़ी अवश्य है, लेकिन बांधे रहने में सक्षम है ।<br />बहुत बहुत बधाई और आभार ! <br /><br /><b>~*~नव वर्ष २०११ के लिए हार्दिक मंगलकामनाएं !~*~</b> <br /><br />शुभकामनाओं सहित<br />- राजेन्द्र स्वर्णकारRajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकारhttps://www.blogger.com/profile/18171190884124808971noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-88390734041858150162010-12-28T10:24:38.414-08:002010-12-28T10:24:38.414-08:00गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार...गहन संवेदनाओं की बेहद मर्मस्पर्शी अभिव्यक्ति. आभार. <br />सादर <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-18617268164042428772010-12-28T03:41:28.508-08:002010-12-28T03:41:28.508-08:00सदा रहती है वह
उन्हें सीने से लगाये
प्रोटान बनकर. ...सदा रहती है वह<br />उन्हें सीने से लगाये<br />प्रोटान बनकर. <br />बहुत सुन्दर नूतन विम्ब प्रयोग!<br />संवेदनशील रचना!अनुपमा पाठकhttps://www.blogger.com/profile/09963916203008376590noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-7828881438096714112010-12-27T06:42:03.238-08:002010-12-27T06:42:03.238-08:00चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल म...चर्चा मंच के साप्ताहिक काव्य मंच पर आपकी रचना कल मंगलवार 28 -12 -2010 <br />को ली गयी है ..नीचे दिए लिंक पर कृपया अपनी प्रतिक्रिया दे कर अपने सुझावों से अवगत कराएँ ...शुक्रिया ..<br /><br /><br />http://charchamanch.uchcharan.com/संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-22333081146158468302010-12-26T09:44:29.210-08:002010-12-26T09:44:29.210-08:00dil ki baat ko dilo tak pahuchaane ka safal pryaas...dil ki baat ko dilo tak pahuchaane ka safal pryaas....<br />bahut badhiya!<br />kunwar ji,kunwarji'shttps://www.blogger.com/profile/03572872489845150206noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-26517336995632703342010-12-26T05:58:02.532-08:002010-12-26T05:58:02.532-08:00वाह... इतनी खूबसूरत और बेहतरीन रचना की तारीफ करने ...वाह... इतनी खूबसूरत और बेहतरीन रचना की तारीफ करने के लिए शब्द मेरे पास तो नहीं हैं...<br />बस एक त्रिप्ती है कि मैं भी ऐसा ही एक रूप हूँ...POOJA...https://www.blogger.com/profile/03449314907714567024noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-64856069065826169892010-12-26T02:11:16.577-08:002010-12-26T02:11:16.577-08:00केन्द्रक बलवान होता है । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं ...केन्द्रक बलवान होता है । अच्छी पोस्ट , शुभकामनाएं । पढ़िए <a href="http://khabaronkiduniyaraipur.blogspot.com/" rel="nofollow">"खबरों की दुनियाँ"</a>खबरों की दुनियाँhttps://www.blogger.com/profile/02650413421178799430noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-71000260134353353442010-12-25T20:51:58.351-08:002010-12-25T20:51:58.351-08:00कविता जब दिल की गहराई से उपजती है तो रोमांचित कर द...कविता जब दिल की गहराई से उपजती है तो रोमांचित कर देती है .सुन्दर कविता .निर्मल गुप्त https://www.blogger.com/profile/14476315180256137151noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-1279741146136498152010-12-25T20:10:13.702-08:002010-12-25T20:10:13.702-08:00राजीव जी,
आप बहुत अच्छा लिखते है। कविता में प्रयुक...राजीव जी,<br />आप बहुत अच्छा लिखते है। कविता में प्रयुक्त कुछ बिम्ब तो बहुत ही अच्छे हैं। कृपया अपना gmail address दें, ताकि आपसे सम्पर्क किया जा सके। आभार।आचार्य परशुराम रायhttps://www.blogger.com/profile/05911982865783367700noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-43708585396759543642010-12-25T19:04:15.477-08:002010-12-25T19:04:15.477-08:00मन को छूने वाली ,दिल की गहराइयों से लिखी हुई भावना...मन को छूने वाली ,दिल की गहराइयों से लिखी हुई भावना प्रधान कविताKunwar Kusumeshhttps://www.blogger.com/profile/15923076883936293963noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-16319919941392181792010-12-25T19:01:58.449-08:002010-12-25T19:01:58.449-08:00rajni N
to me
bhav bahut hi sarthak hai par kaf...rajni N<br /> to me<br /> <br />bhav bahut hi sarthak hai par kafi lambi ban gayi hai<br />rachna..................achha prabhav dalegi padhnewale k man mastiskRajivhttps://www.blogger.com/profile/05867052446850053694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-33607578175940125202010-12-25T17:33:32.419-08:002010-12-25T17:33:32.419-08:00स्त्री के विभिन्न रूपों का उसे एक केंद्र मानकर रची...स्त्री के विभिन्न रूपों का उसे एक केंद्र मानकर रची गयी संवेदनशील रचना ...<br />किसी पुरुष की कलम से स्त्रियों के लिए व्यक्त किया गया सम्मान हमेशा ही प्रभावित करता है ...वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-64510768595203621472010-12-25T09:29:55.972-08:002010-12-25T09:29:55.972-08:00सबने अलग अलग ठंग से नारी से प्यार तो लिया !
पर उस...सबने अलग अलग ठंग से नारी से प्यार तो लिया !<br />पर उसकी झोली मै तो हर पल दर्द ही दिया !<br />हरेक ने उसके दामन को आंसुओ से ही भरा !<br />पर हर वक़्त उसने उसी घर का ख्याल किया !<br />कितना समर्पण है नारी शक्ति मै ,<br />देखो न हर एक पल ...............<br />इतना दर्द अपने आँचल मै समेटे रहती है !<br />फिर भी हर एक को प्यार बाँटती फिरती है !<br />काश इसको कोई समझ पाता !<br />तो इसका दामन भी खुशियों से भर जाता !Minakshi Panthttps://www.blogger.com/profile/07088702730002373736noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-46809465520912720292010-12-25T09:27:21.610-08:002010-12-25T09:27:21.610-08:00नारी तुम केवल श्रद्धा हो.नारी तुम केवल श्रद्धा हो.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-75627198184272382052010-12-25T08:51:35.788-08:002010-12-25T08:51:35.788-08:00संवेदनशील कविता। मन को छू गई। बहुत अच्छी प्रस्तुति...संवेदनशील कविता। मन को छू गई। <b>बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!</b><br /><a href="http://manojiofs.blogspot.com/2010/12/blog-post_25.html" rel="nofollow">एक आत्मचेतना कलाकार</a>मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-565695408412985642010-12-25T08:19:32.367-08:002010-12-25T08:19:32.367-08:00विस्तृत और संवेदनशील चित्रण, मानवीय सम्बन्धों का।विस्तृत और संवेदनशील चित्रण, मानवीय सम्बन्धों का।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-81531192099806929292010-12-25T06:51:26.712-08:002010-12-25T06:51:26.712-08:00यही तो विडम्बना है स्त्री के साथ .....वह सृष्टि की...यही तो विडम्बना है स्त्री के साथ .....वह सृष्टि की वाहक है .......पूज्य है ........वह गौरी भी है और दुर्गा भी है .....ठीक हमारे जैसा ही प्रतिरूप भी देती है हमें ....हम पाकर अपना वंश-वाहक फूले नहीं समाते ....निकलते ही काम ...भूल जाते हैं सब कुछ ....करने लगते हैं उसका उपहास .......करने लगते हैं शक्ति की उपेक्षा ......फिर ....पराभव के क्षणों में पुनः करते हैं उसीकी उपासना .....हर बार की तरह .......हमसे बड़ा स्वार्थी और कौन हो सकता है भला ?बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरनाhttps://www.blogger.com/profile/11751508655295186269noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-54073519598536693232010-12-25T06:37:22.733-08:002010-12-25T06:37:22.733-08:00क्या कहूँ ....निशब्द हूँ आपकी लेखनी पर ....
बहुत ह...क्या कहूँ ....निशब्द हूँ आपकी लेखनी पर ....<br />बहुत ही गहन और अद्भुत अभिव्यक्ति .....अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-10839688155906502352010-12-25T05:32:51.897-08:002010-12-25T05:32:51.897-08:00यह सत्य है अकाट्य
कोई धरा को नहीं समेट सकता है
अप...यह सत्य है अकाट्य<br />कोई धरा को नहीं समेट सकता है <br />अपनी बाँहों में,<br />पर, एक छोटा सा स्नेहपाश <br />कर सकता है धरती-आकाश एक.<br /><br />बहुत सशक्त संवेदनशील अभिव्यक्ति...बहुत सुन्दरKailash Sharmahttps://www.blogger.com/profile/12461785093868952476noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-84009502651796727522010-12-25T04:29:33.594-08:002010-12-25T04:29:33.594-08:00क्यों नहीं रख पाते याद
उसका व्रत,उपवास,
मुसीबत की ...क्यों नहीं रख पाते याद<br />उसका व्रत,उपवास,<br />मुसीबत की घड़ी में<br />जागना सारी-सारी रात<br />तुम्हारे भले के लिए<br />मां,बहन और पत्नी बनकर.<br /><br />ॠणानुबंध का बखूबी चित्रण, अद्भुत सम्वेदनाओ का प्रकटीकरणसुज्ञhttps://www.blogger.com/profile/04048005064130736717noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-24935607585037066312010-12-25T04:12:16.102-08:002010-12-25T04:12:16.102-08:00हर वक्तव्य अकाट्य है ..बहुत सुन्दर और भावनाओं का अ...हर वक्तव्य अकाट्य है ..बहुत सुन्दर और भावनाओं का अद्भुत संगम है ....इस प्रस्तुति के लिए आभार .संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-50429620867167817512010-12-25T03:49:27.491-08:002010-12-25T03:49:27.491-08:00वह जूझती रही प्रशनों के द्वंद्व से
टूटा ह्रदय लिए,...वह जूझती रही प्रशनों के द्वंद्व से<br />टूटा ह्रदय लिए,<br />बिखरे अरमानों के साथ.<br />करती रही एक ऐसे शरीर में वास<br />जो समझ नहीं पाया<br />अपना अपराध<br />आजतक.....<br /><br />क्या कहूँ ....निशब्द हूँ आपकी लेखनी पर ....<br />बहुत ही गहन और अद्भुत अभिव्यक्ति .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-5257690337924711728.post-57911305826393884752010-12-25T03:07:13.424-08:002010-12-25T03:07:13.424-08:00बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति ! इतनी खूबसूरत रचन...बहुत सुन्दर और सशक्त अभिव्यक्ति ! इतनी खूबसूरत रचना के लिये बधाई एवं शुभकामनाएं !Sadhana Vaidhttps://www.blogger.com/profile/09242428126153386601noreply@blogger.com